बेंगलुरू। कर्नाटक विधानसभा चुनाव को कांग्रेस और बीजेपी ने हिंदू बनाम मुस्लिम बना दिया है। एक तरफ जहां बीजेपी राज्य की सत्ता पर आसिन सिद्धरमैया सरकार को हिंदू विरोधी बता रही है तो वहीं कांग्रेस भी बीजेपी को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही है। इसी बीत कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए उनके खिलाफ दर्ज सारे केसों को वापस लेने का निर्णय लिया है। तो वहीं बीजेपी ने सरकार की इस नीति को हिंदू विरोधी बताते हुए अपना विरोध दर्ज करवाया है। आपको बता दें कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार अल्पसंखयकों, किसानों और प्रो-कन्नड़ समर्थकों के खिलाफ दंगों के दौरान दायर पुराने मामलों को वापस लेने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस की कर्नाटक सरकार ने इसको लेकर पुलिस के लिए एक सर्कुलर जारी कर जानकारी मांगी है।
सर्कुलर में पुलिस से सरकार ने मांग की है कि पुलिस इन लोगों से जुड़े सभी आपराधिक केसों की सूची सरकार को सौंपे ताकि सरकार इन पर से आपराधिक मामले हटा सके। बता दें कि सरकार इसको लेकर तीन बार सर्कुलर जारी कर चुकी है। कर्नाटक सरकार के इस एजेंडे को बीजेपी ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए हथियार बनाया है ताकि इस बहाने राज्य के 85 फीसदी हिंदुओं को अपने पक्ष में किया जा सके। बीजेपी ने सरकार पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस की सरकार हिंदू विरोधी है और वो दंगा भड़ाकने वालों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस ले रही है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि पिछले पांच साल में अल्पसंख्यक समुदाय के जो रेडिकल लोग सांप्रदायिक फसाद में शामिल रहे, कांग्रेस उनके केस वापस ले रही है।
पार्टी ने ये भी दावा किया कि सिद्धारमैया ने 2015 में पीएफआई के खिलाफ दर्ज 175 से ज्यादा केस वापस कराए हैं। हालांकि, सीएम सिद्धारमैया ने सफाई देते हुए कहा कि दंगों के दौरान दर्ज हुए ऐसे केस सिर्फ अल्पसंख्यकों के नहीं, बल्कि किसानों और कन्नड़ समर्थकों के केस वापसी पर भी जानकारी मांगी गई है। इससे पहले 25 जनवरी को मैसूर में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य की सिद्धारमैया सरकार को भ्रष्ट और दमनकारी बताया था। शाह ने यहां पार्टी की एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर आपातकाल की तरह ही व्यवहार करने का आरोप लगाया था।