गोरखपुर: एंटी करप्शन टीम लगातार समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त करने में अपनी हैंड भूमिका निभाती रहती है। इसी क्रम में गोरखपुर औषधि विभाग से जुड़ी खबर सामने आई।
औषधि विभाग के लिपिक को रंगे हाथों ₹40000 घूस लेते हुए पकड़ा गया। इस मामले के सामने आते ही प्रशासन तुरंत एक्टिव हो गया। इस आरोप को लिपिक ने सिरे से खारिज किया, उन्होंने कहा कि मुझे फंसाया गया है।
ड्रग लाइसेंस के लिए घूस की मांग
खबरों के अनुसार अनुपम गौड़ नामक व्यक्ति ड्रग लाइसेंस के लिए औषधि विभाग के चक्कर लगा रहा था। वहीं लिपिक के तौर पर काम कर रहे विकास दीप से उसकी मुलाकात हुई।
विकास ने लाइसेंस दिलवाने के लिए अनुपम से ₹40000 की रकम घूस के तौर पर मांगी। ऐसी स्थिति में अनुपम के पिता ने एंटी करप्शन विभाग से मदद मांगी। फिर टीम के कर्मचारियों ने पूरी प्लानिंग के साथ औषधि विभाग के लिपिक विकास दीप को रंगे हाथों पकड़ लिया।
10 फरवरी को किया था ऑनलाइन आवेदन
अनुपम अपनी दवा की दुकान के लिए लाइसेंस की तलाश में थे। इसके लिए उन्होंने 10 फरवरी को ऑनलाइन आवेदन किया था। फिजिकल कॉपी लेने के लिए जब विभाग में पहुंचे तो वहां रिश्वत की मांग की गई। इसके बाद अनुपम ने अपने पिता को यह बात बताई। जिन्होंने एंटी करप्शन विभाग से मदद लेने की सलाह दी।
इस टीम में प्रभारी रामधारी मिश्रा के साथ ए के सिंह, चंद्रेश यादव, शैलेंद्र राय, चंद्रभान मिश्रा और शैलेंद्र सिंह शामिल रहे। विकास को औषधि विभाग से गिरफ्तार करके कोतवाली थाने लाया गया। जिसके बाद उस पर कानूनी कार्यवाही की गई।