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संन्यस्त जीवन का स्वर्ण जयंती समारोह

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पश्चिमी मुंबई की सन्यास आश्रम में कल यानी 15 अप्रैल को सन्यास जीवन के स्वर्ण जयंती समारोह का आयोजन किया गया। इस अभिनंदन समारोह में श्री 108 महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरिराज महाराज के संन्यस्त जीवन की स्वर्ण जयंती एवं श्री माता वैष्णो देवी ट्रस्ट के ट्रस्टी नियुक्त किए जाने पर आयोजित किया गया।

इस आयोजन में मुख्य अतिथि के तौर पर नेता प्रतिपक्ष और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहुंचे।

इसके अलावा इस कार्यक्रम में हिंदू धर्म आचार्य सभा के संयोजक स्वामी परमात्मानंद सरस्वती महाराज, अमेरिका से स्वामी नित्यानंद सरस्वती महाराज, बदलापुर से स्वामी अभेदानंद गिरिराज महाराज, वृंदावन से स्वामी प्रंनवानंद सरस्वती महाराज, अयोध्या से रामानुजाचार्य स्वामी,  स्वामी शंकरानंद सरस्वती महाराज और पद्मश्री ब्रह्मेशनन्द महाराज शामिल हुए।

 कार्यक्रम का आयोजन संन्यास आश्रम, विलेपार्ले पश्चिम मुंबई में आनंद महोत्सव समिति द्वारा किया गया था।

कार्यक्रम की शुरुआत में नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस कार्यक्रम का आयोजन संयास आश्रम के 50 वर्ष पूरे होने पर और विश्वेश्वरानंद गिरिराज महाराज को माता वैष्णो देवी ट्रस्ट के ट्रस्टी नियुक्त किए जाने के मौके पर किया गया है।

उन्होंने जिस प्रकार कार्यभार संभाला है। ऐसे में उनका अभिनंदन करना बेहद जरूरी है। मैं बेहद सौभाग्यशाली हूं। कि मुझे यहां आने का अवसर प्राप्त हुआ और अब हमें इन्हें सम्मानित करके और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।

स्वामी प्रंनवानंद सरस्वती महाराज कार्यक्रम के दौरान कहा की सनातन धर्म भारत की संस्कृति है। जिसे बीते 70 वर्षों से कहीं ना कहीं दबाया जा रहा था। लेकिन अब एक बार फिर से लोगों के मन में राष्ट्र के प्रति चेतना जाग रही है। सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है। जहां 5 वर्ष की आयु में प्रहलाद, नारद जी और 8 वर्ष की आयु में आदि गुरु शंकराचार्य बहुत छोटी उम्र में बहुत अधिकतर और मेहनत करके बहुत सी क्रांतियां की है। और उन्होंने मानव संस्कृति को सनातन धर्म को शिक्षा प्रदान की और आज भी वो पूज्य है। और परम पूज्य महाराज जी ने भी 13 वर्ष की छोटी आयु हरिद्वार ऋषिकेश दुर्गम हिमालय क्षेत्रों में विचरण करते हुए अनेकों प्रकार के कष्ट और पीड़ा सहते हुए वह 18 वर्ष की आयु में इस संस्थान में पहुंच गया।

 

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