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पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की हालत गंभीर, अस्पाताल में हुए भर्ती

somnath पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की हालत गंभीर, अस्पाताल में हुए भर्ती

नई दिल्ली:   कोलकाता के बेले वू अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी को रक्तचाप का सामना करना पर रहा है। उन्हें सोमवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल के सूत्रों ने बताया, “यह एक मध्यम आकार के थक्के के साथ एक हीमोराजिक स्ट्रोक था, जो सामान्य है। लेकिन 89 साल की उम्र के मरीज़ के लिए यह खतरनाक है।”

somnath पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी की हालत गंभीर, अस्पाताल में हुए भर्ती

2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहें

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पूर्व सदस्य, चटर्जी वर्तमान में एक स्वतंत्र उम्मीदवार हैं। उन्होंने 2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। वे चौदहवीं लोकसभा में पश्चिम बंगाल के बोलपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। श्री चटर्जी लोकसभा के चौदहवीं अध्यक्ष रहे थे।

अधिवक्ता के रूप में की थी कैरियर की शुरुआत

सोमनाथ चटर्जी ने एक अधिवक्ता के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी। 1968 में वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बनने के बाद सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। राष्ट्रीय राजनीति में उनका अभ्युदय प्रथम बार 1971 में लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के साथ हुआ।

14वें  लोकसभा अध्यक्ष रहे

तब से लेकर उन्होंने सभी लोकसभाओं में एक सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर सेवा दी है, वर्ष 2004 में वर्तमान 14वीं लोकसभा में वे दसवीं बार निर्वाचित हुए। वर्ष 1989 से 2004 तक वे लोकसभा में सीपीआई(एम) के नेता रहे। लोकसभा चुनाव में उनकी बारंबार अधिक मतों के साथ विजय, जनता के बीच उनकी लोकप्रियता, पार्टी में उनके स्थान तथा सांसद के रूप में उनके कद्दावर व्यक्तित्व को प्रमाणित करता है।

सोमनाथ चटर्जी ने सभा की कार्यवाही के संचालन को सुधारने में पहल की थी और उन्होंने इस संबंध में कई महत्त्वपूर्ण विनिर्णय और निर्णय दिए थे। 22 जुलाई, 2008 को विश्‍वास मत के दौरान किए गए सभा के संचालन के लिए उनको देश के विभिन्‍न वर्गों के नागरिकों तथा विदेशों से काफ़ी सराहना मिली थी।

सभा में महत्त्वपूर्ण मुद्दो पर सुव्यवस्थित वाद-विवाद सुनिश्चित करने के लिए श्री चटर्जी सभी सत्रों से पहले और सत्र के दौरान राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ नियमित रूप से बैठकें करते रहे हैं। दुराचरण के मामलों सहित कई महत्त्वपूर्ण मामले विशेषाधिकार समिति को सौंपे गए, जिनके परिणामस्वरूप संसद सदस्य निष्कासित और निलंबित हुए हैं।

अध्यक्ष की पहल पर ही संसद सदस्यों को दुराचरण और समय-समय पर होने वाले अन्य संबंधित मुद्दों के आरोपों की जांच के लिए एक विशेष समिति गठित की गयी। उन्होंने राज्य सभा के सभापति के साथ परामर्श करके समिति के दौरों संबंधी नियमों को संशोधित किया। अंतरराष्ट्रीय दौरों, सम्मेलनों और संसदीय शिष्टमंडल के विदेशी दौरों संबंधी प्रतिवेदनों को अब सभा पटल पर रखा जाता है।

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