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किन वजहों से देर से पहुंचा मानसून, जानें इस बार होगी कितनी बारिश?

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नई दिल्ली। इंतजार के एक हफ्ते बाद पहुंचे मानसून ने अन्तत: बारिश कर ही दी। आमतौर पर ये 1 जून को केरल से टकराता है। मौसम विभाग (आईएमडी) के मुताबिक, दक्षिण-पूर्व अरब सागर में लो प्रेशर क्षेत्र भी बन रहा है, दक्षिण में लक्षद्वीप के ऊपर चक्रवाती क्षेत्र बना हुआ है। स्काईमेट ने इस साल 93% और मौसम विभाग ने 96% बारिश की संभावना जाहिर की है। स्काईमेट के वैज्ञानिक महेश पलावत का कहना है कि अल-नीनो की वजह से इस बार मानसून में देरी हुई है।
जून में कमजोर रहेगा मानसून, जुलाई में तेजी आएगी
स्काईमेट के वैज्ञानिक महेश पलावत का कहना है कि इस बार मानसून पर अल नीनो का असर देखने को मिला है, इसकी वजह से पूर्वी प्रशांत महासागर में तापमान बढ़ जाता है, जिससे पेरू और दक्षिणी अमेरिका में तो ज्यादा बारिश होती है लेकिन दक्षिण-पूर्व में कम बारिश होती है। हालांकि, जुलाई के दूसरे हफ्ते से अल-नीनो का असर कम होने लगेगा जिसके बाद अच्छी बारिश होने की संभावना है।
प्री-मानसून बारिश के भी सामान्य से कम रहने पर महेश बताते हैं कि जो वेदर सिस्टम बनते हैं, इस बार उनका असर कम देखने को मिला। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से बनने वाली हवाएं कम आईं। लेकिन 12 जून के बाद फिर से प्री-मानसून एक्टिविटी बढ़ेगी। इस साल 90-95% बारिश होने की संभावना है। इस साल मानसून जून में कमजोर रहेगा लेकिन जुलाई में तेजी आने की उम्मीद है। केरल और कोस्टल कर्नाटक में बाढ़ जैसी स्थिति भी बन सकती है।

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