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चीन-पाकिस्तान का तिलिस्म तोड़ने के लिए मोदी का मालदीव दौरा था बेहद जरूरी

modi in maldeev 1 चीन-पाकिस्तान का तिलिस्म तोड़ने के लिए मोदी का मालदीव दौरा था बेहद जरूरी

नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी पहली विदेश यात्रा पर मालदीव पहुंचे, मालदीव की संसद को भी संबोधित किया। बता दें कि मोदी सरकार की नेबर फर्स्ट (पड़ोसी पहले) की पॉलिसी रही है। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी अपने पहले विदेश दौरे पर भूटान गए थे।
विदेश मामलों के जानकार बताते हैं कि मालदीव ऐसा देश है जो भारत के डिफेंस और स्ट्रैटजी के लिए जरूरी है। दक्षिण एशिया में भारत के लिए सबसे ज्यादा भरोसेमंद मालदीव ही है। भारत मालदीव के साथ हिंद महासागर में नई रणनीति तैयार करना चाहता है। अगर चीन वहां मजबूत होता है तो भारत कमजोर होगा, लेकिन भारत वहां मजबूत होता है तो इससे चीन और पाकिस्तान दोनों कमजोर होंगे।
दक्षिण एशिया के देशों को चीन आर्थिक मदद के नाम पर कर्ज में डुबा रहा है। पाकिस्तान और मालदीव भी इससे प्रभावित हैं। चीन का वन बेल्ट-वन रोड प्रोजेक्ट मालदीव के मारू और श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह से गुजरेगा। इसलिए भारत को मालदीव की जरूरत है। अगर भारत आर्थिक मदद देता है तो मालदीव हमारे साथ आएगा, जिससे हमें ही फायदा होगा।
सुरक्षा के नजरिए से मालदीव भारत के लिए कितना जरूरी है? इस बारे में रहीस सिंह बताते हैं कि फरवरी 2018 में जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने आपातकाल लगा दिया था तो भारत मालदीव की मदद के लिए आगे आया था। मालदीव-चीन और पाकिस्तान का एक त्रिकोण बन रहा था, जो भारत के लिए खतरनाक है। भारत ने मालदीव को सैन्य मदद देने की बात भी कही थी, लेकिन मालदीव ने यह कहकर इनकार कर दिया था कि पाकिस्तान उसका सहयोग कर रहा है। अगर भारत इस त्रिकोण को तोड़ने में कामयाब होता है तो हमारे लिए अच्छा होगा। मोदी मालदीव की यात्रा पर जा रहे हैं तो वहां के लोगों में और सरकार में भरोसा पैदा होगा कि भारत हमारे साथ है। इससे भारत को निवेश करने और वहां अपना बाजार बनाने में भी मदद मिलेगी।

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