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भूकंप के झटकों से फिर दहली दिल्ली-एनसीआर की धरती, 2,1 थी तीव्रता

भूकंप के झटकों से हिला ईरान,एक की मौत, कई घर क्षतिग्रस्त

एक कोरोना वायरस और दूसरी तरफ भूकंप के झटके जैसे देश का पीछा छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं है। एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर की जमीन भूकंप के झटकों से हिली।

नई दिल्ली। एक कोरोना वायरस और दूसरी तरफ भूकंप के झटके जैसे देश का पीछा छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं है। एक बार फिर दिल्ली-एनसीआर की जमीन भूकंप के झटकों से हिली। सोमवार की दोपहर को 1 बजे दिल्ली-इनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता 2.1 मापी गई। भूकंप की गहराई दिल्ली-गुड़गांव बॉर्डर पर 18 किलोमीटर थी। फिलहाल किसी भी तरह के जान माल की कोई खबर सामने नहीं आई है।

बता दें कि पिछले 2 महीने में दिल्ली-इनसीआर की जमीन भूकंप के झटकों से 14 बार हिल चुकी है। काफी दिनों से भूकंप का केंद्र दिल्ली, फरीदाबाद, नोएडा, रोहतक बन रहे हैं। इन्हीं जगहों पर भूकंप के झटके सबसे ज्यादा महसूस किए जा रहे हैं। आए दिन भूकंप के झटकों से सवाल ये पैदा हो रहे हैं कि क्या ये प्राकृति की तरफ से आने वाली किसी बड़ी अनहोनी का संकेत है। क्या कोई बड़ी घटना देश में होने वाली है। भारत सरकार का रिकोर्ड बताता है कि राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली और एनसीआर भूकंप को लेकर अधिक तीव्रता वाले जोन 4 में आते हैं। जहां रिक्‍टर पैमाने पर 8 तीव्रता वाले भूकंप की भी संभावना होती है।

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वहीं पिछले 2 महीनों में 14 बार दिल्ली-एनसीआर में भूकंप के झटके महसूस किए गए। पहला झटका 12 अप्रैल 2020 रिक्टर स्केल पर तीव्रता 3.5, केंद्र दिल्ली, गहराई 8 किलोमीटर थी। वहीं दूसरा झटका 13 अप्रैल 2020 को रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.7, केंद्र दिल्ली, गहराई 5 किलोमीटर थी उसके बाद 15 मई 2020 को रिक्टर स्केल पर तीव्रता 2.2, केंद्र दिल्ली बना जिसकी गहराई 22 किलोमीटर थी। फिर 28 मई, 29 मई, 1 जून, 3जून, 5 जून और आज 8 जून को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए।

भूकंप के दुष्परिणामों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने दिल्‍ली क्षेत्र की जमीन के नीचे की मिट्टी की जांच करवाकर यह पता किया है कि इसके कौन से क्षेत्र सबसे ज्‍यादा संवेदनशील हैं। जमीन के भीतर की संरचना पर होने वाले अध्‍ययन को भू-वैज्ञानिक सिस्‍मिक माइक्रोजोनेशन  कहते हैं। उससे जानकारी मिलती है कि भूकंप के लिहाज से कौन से क्षेत्र सुरक्षित और खतरनाक हैं। दिल्ली की रिपोर्ट में साफ बताया गया है कि घनी आबादी वाले यमुनापार समेत तीन जोन सर्वाधिक खतरनाक हैं।

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