दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट फेसबुक आजकल विवादों में फंसी हुई है। कहा जा रहा हे कि, एफ बी के करीब 5 करोड़ यूजर्स की निजी जानकारी लीक हुई है, जिसका फायदा अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप के लिए काम कर रही फर्म कैम्ब्रिज एनालिटिक ने उठाया। आपको याद हो तो 2016 के राष्ट्रपति चुनाव डोनाल्ड ट्रंप भारी जीत के साथ अमरिका की सत्ता में आए थे। दावा किया गया है कि फर्म ने वोटर्स की राय को मैनिप्युलेट करने के लिए फेसबुक यूजर्स डेटा में सेंध लगाई। अब इस मामले में फेसबुक के संस्थापक जकरबर्ग से जवाब तलब किया गया है।
ब्रिटिश न्यूज चैनल, चैनल 4 पर निक्स के इशारे पर, कि कैसे विदेशों में होने वाले चुनावों को प्रभावित किया जा सकता है, पर कंपनी ने अफने सीईओ को निकालने का फैसला किया था। कैम्ब्रिज एनालिटिक के सीईओ निक्स को निकालने के बाद एक बयान जारी करते हुए कहा गया कि, बोर्ड का मानना है कि निक्स के कमेंट को चैनल ने चुपचाप रिकॉर्ड किया और वहीं उनकी ओर से लगाए गए बाकी आरोप कंपनी के नैतिक मूल्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। कंपनी का कहना है कि उन्हें निकाला जाना इस बात का सुबूत है कि कंपनी अपने कार्यों को लेकर काफी गंभीर है और इसी तरह से काम करने में यकीन रखती है। इस बीच फेसबुक का कहना है कि कैंब्रिज एनालिटिका की ओर से डाटा के गलत प्रयोग करने की जानकारी पर वह खासी नाराज है।
कैंब्रिज एनालिटिका को स्टीफन के बैनन और रॉबर्ट मर्सर ने शुरू किया था और यह एक लंदन बेस्ड कंपनी है। रॉबर्ट, रिपब्लिकन पार्टी के डोनर हैं और उन्होंने कम से 15 मिलियन डॉलर की रकम इसमें निवेश की है। कंपनी इस तरह के तरीकों को पेश करती है जिससे अमेरिकी वोटर्स का पता लग सके और फिर उनके व्यवहार को प्रभावित किया जा सके। फेसबुक से डाटा चोरी करके इसकी मदद से एक साइकोग्राफिक मॉडलिंग टेक्निक को तैयार किया गया। इसके बाद कंपनी ने साल 2016 में ट्रंप के लिए कैंपेनिंग की। निक्स ने इस टेक्निक को चैनल 4 के साथ बातचीत में ‘कंपनी का सीक्रेट सॉस’ करार दिया। हालांकि कुछ लोगों ने इस तरीके की प्रभावशाीलता पर सवाल भी उठाया था। अमेरिकी डेली न्यूयॉर्क टाइम्स और लंदन के द ऑब्जर्वर ने इस बात की गहन जानकारी दी है कि कैसे कंपनी फेसबुक डाटा का प्रयोग किया था।