नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले की बोझ में दबा पंजाब नेशनल बैंक(पीएनबी) घोटाले के चलते बढ़ी विदेशी देनदारी को चुकाने के लिए जमकर डॉलर खरीद रहा है। उधर, इस घोटाले के बाद रिजर्व बैंक के द्वारा बैंको की ओर से जारी होने वाले लेटर ऑफ अंडरटेकिंग(एलओयू) पर बैन लगाने की वजह से आयातक भी डॉलर खरीद रहे हैं। इसका सीधा असर रुपये पर पड़ है और यह कमजोर पड़ता जा रहा है। इसके चलते 14 फरवरी को पीएनबी घोटाले की खबर आने के बाद से एशियाई देशों में भारतीय मुद्रा की क्षमता अन्य वर्षों की तुलना में सबसे कमजोर रही।
बता दें कि डॉलर खरीदारी के तथ्य से पीएनबी के प्रवक्ता राजेश सोबती ने भी इनकार नहीं किया। वहीं, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के फॉरेक्स हेड एमएस गोपीकृष्णन ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में बैंकों और इंपोर्टर्स की तरफ से डॉलर की खरीदारी बढ़ी है। उन्होंने बताया कि देश में काफी विदेशी करेंसी आने के बावजूद रुपये की मजबूती पर रोक लगी हुई है। गोपीकृष्णन ने बताया कि एलओयू पर बैन के बाद जहां इंपोर्टर्स डॉलर जमा कर रहे हैं, वहीं बैंक भी विदेशी देनदारी चुकाने के लिए इसे खरीद रहे हैं।
वहीं नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी के आंकड़े के मुताबिक मार्च में फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स ने भारत के शेयर और बॉन्ड बाजारों में 2,662 करोड़ रुपये लगाए थे। अप्रैल में वह अब तक 3,821 करोड़ रुपये यहां लगा चुके हैं। कोटक सिक्योरिटीज के करेंसी मुद्रा विश्लेषक अनिंद्य बनर्जी ने भी बताया कि फरवरी मध्य के बाद रुपये का प्रदर्शन एशियाई देशों की करेंसी में सबसे खराब रहा है।