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क्या इंदिरा गांधी को पहले ही हो गया था मौत का अंदेशा? इंदिरा के जीवन से जुड़े खास तथ्य

इंदिरा को पहले ही हो गया था मौत का अंदेशा क्या इंदिरा गांधी को पहले ही हो गया था मौत का अंदेशा? इंदिरा के जीवन से जुड़े खास तथ्य

नई दिल्ली: इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी नेता थे। उनकी माता का नाम कमला नेहरु था। इंदिरा का बचपन बहुत उदासी और अकेलेपन में बीता था क्योंकि उनके पिता अक्सर राजनितिक कार्यो में व्यस्त रहते थे और माता अक्सर बीमार रहती थी जिनकी बाद में टीबी के कारण मौत हो गयी थी।

इंदिरा के जीवन से जुड़े खास तथ्य
इंदिरा के जीवन से जुड़े खास तथ्य

1959 में राष्ट्रिय कांग्रेस का अध्यक्ष

इंदिरा का अपने पिता से सम्पर्क केवल पत्रों तक ही सीमित था क्योंकि उनके पास राजीनीतिक कारणों से हमेशा बाहर रहना पड़ता था। इंदिरा की शिक्षा इलाहाबाद, पुणे, बम्बई, कोलकता मे हुई, उच्च शिक्षा के लिए इगलैंड के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया कुछ कारण वश उन्हें उपाधि लिए बगैर शिक्षा छोड़कर अपने देश वापस आना पड़ा। इनका विवाह फिरोज गांधी के साथ 1942 में हुआ था। इंदिरा भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की बेटी थी। इंदिरा ने अपने पापा के राष्ट्रस्तरीय संस्था की 1947-1964 तक मुख्यमंत्री के रूप में सेवा की। उनके इस योगदान को देखते हुए उन्हें 1959 में राष्ट्रिय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।

भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी

1964 में उनकी पिता की मृत्यु के बाद, इंदिरा जी ने कांग्रेस पार्टी के नेता बनने के संघर्ष को छोड़ दिया और और लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने की ठानी। शास्त्री की मृत्यु के बाद विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस की अध्यक्षा इंदिरा गाँधी ने मोरारजी देसाई को हराया, और भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी। सन् 1966 में जब श्रीमती गांधी प्रधानमंत्री बनीं, कांग्रेस दो गुटों में विभाजित हो चुकी थी, श्रीमती गांधी के नेतृत्व में समाजवादी और मोरारजी देसाई के नेतृत्व में रूढवादी। मोरारजी देसाई उन्हें “गूंगी गुड़िया” कहा करते थे। 1967 के चुनाव में आंतरिक समस्याएँ उभरी जहां कांग्रेस लगभग 60 सीटें खोकर 545 सीटोंवाली लोक सभा में 297 आसन प्राप्त किए।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विभाजित

उन्हें देसाई को भारत के भारत के उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के रूप में लेना पड़ा। 1969 में देसाई के साथ अनेक मुद्दों पर असहमति के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस विभाजित हो गयी। वे समाजवादियों एवं साम्यवादी दलों से समर्थन पाकर अगले दो वर्षों तक शासन चलाई। उसी वर्ष जुलाई 1969 को उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। 1971 में बांग्लादेशी शरणार्थी समस्या हल करने के लिए उन्होंने पूर्वी पाकिस्तान की ओर से, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे, पाकिस्तान पर युद्ध घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अब तेजी के साथ एक पूर्व सतर्कतापूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को नई दिशा दी। भारत और सोवियत संघ पहले ही मित्रता और आपसी सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके परिणामस्वरूप 1971 के युद्ध में भारत की जीत में राजनैतिक और सैन्य समर्थन का पर्याप्त योगदान रहा। भारत पर बार बार हमला करने वाले पाकिस्तान के पूर्व बंगाल में पीड़ित लोगो को स्वतंत्र करने के लिये सेन्य सहायता करके उन्हें भारतव्देष्टया पाकिस्तान के ‘बांग्लादेश’ और पाकिस्तान ऐसे दो टुकडे किये। उसके पहले इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के अमेरिका से अच्छे संबधो को ध्यान में रखकर बड़ी चतुराई से 1971 में सोव्हिएत यूनियन से बीस साल का ऐतिहासिक ऐसी दोस्ती और परस्परिक सहयोग करार कराया।

1971 में मिला ‘भारतरत्न’

उनकी ये असामान्य कामगिरी ध्यान में लेकर राष्ट्रपति ने उनका 1971 में ‘भारतरत्न’ इस सर्वोच्च नागरी सम्मान प्रदान करके उनका गौरव किया गया। इंदिरा गांधी ने 1975में आपातकालीन लागू की, पर भारत की लोकशाही प्रेमी जनता उस वजह से नाराज हुयी। और 1977 के लोकसभा चुनाव में कॉग्रेस की हार हुयी। खुद इंदिरा गांधी की रायबरेली मतदार संघ मे से हार हुयी. इसका परिणाम ऐसा हुआ जनता पक्ष के हट में सत्ता गयी पर उस पक्ष के और सरकार में के पार्टी घटकों का झगडा होने के कारण 1980 में मदत पूर्व हुये चुनाव में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दै दी जीत हुयी और इंदिरा जी ओर एकबार फिर प्रधानमंत्री बनी। 1980 के दशक में सिख अलगाववादी आंदोलन भारत में शुरू हुआ जिसका इंदिरा गांधी ने दमन किया जिसे “ऑपरेशन ब्लू स्टार” नाम दिया । इंदिरा गांधी ने स्वर्ण मन्दिर में एक सैन्य अभियान चलाया, जिसमे गांधीजी ने 70000 सैनिको को वहा पर भेजा जिसमें से 450 लोग मारे गये। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी के भरोसेमंद सिख अंगरक्षक ने बन्दूक की गोली से मार दिया।

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इंदिरा को हो गया था मौत का अंदेशा

उसके बाद एक दूसरे अंगरक्षक ने भी कई गोलिया दागी। इंदिरा गांधी को अस्पताल ले जाते वक़्त रास्ते में ही मौत हो गयी। इंदिरा गांधी ने मृत्यु से एक दिन पहले उड़ीसा में एक भाषण दिया था कि “अगर मै देश की सेवा करते करते मर जाती हूँ तो मुझे इस पर नाज होगा। मुझे विश्वास है कि मेरे खून का हर कतरा इस राष्ट्र के विकास में योगदान करेगा और उसे मजबूत बनाएगा। इस तरह इंदिरा गांधी को अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था। इंदिरा गांधी भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं तथा भारतरत्न प्राप्त करने वाली पहली महिला, इंदिरा गांधी को सन 1971 में ‘भारतरत्न’ से नवाजा गया।

by ankit tripathi

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