हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि यानि चतुर्थी को करवाचौथ का व्रत किया जाता है। हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चौथी तिथि यानि चतुर्थी को करवाचौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन पति की लंबी उम्र के लिये ये व्रत किया जाता है। इस व्रत में सारा दिन बिना पानी के रहना होता है। लेकिन इस कठिन व्रत में महिलाओं की आस्था और विश्वास छुपा है।
चलिये अब जान लेते हैं कि आपको इस व्रत करते समय कतया करना चाहिये
करवा चौथ के दिन सुबह जल्दी नहाकर तैयार हो जाये और इस व्रत को करने का संकल्प लें। .
अब करवे में जल भरकर करवा चौथ व्रत की कथा सुनें या पढ़ें. करवा चौथ की पूजा के दौरान मां पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें। और फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। आपको चंद्रमा दिखने के बाद ही पानी पीना है ये याद रखें। करवा चौथ के दिन निर्जला व्रत किया जाता है। शाम को चांद देखकर पति के हाथ से पानी पीकर यापना व्रत खोलें.।
शुभ मुहूर्त
पूजा का मुहूर्त- 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 6 बजकर 50 मिनट तक
पूजा की अवधि- 1 घंटे 7 मिनट
चंदोदय समय-8 बजकर 7 मिनट
पंचांग के मुताबिक 24 अक्टूबर को इस बार करवा चौथ का व्रत रखा जायेगा। इस चतुर्थी की तिथि को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश जी की भी विशेष पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखने से पति की लंबी आयु का वरदान मिलता है। इसके साथ ही अपने पति की अच्छी सेहत, प्रगति और सफलता के लिए भी इस व्रत को किया जाता है।
करवा चौथ व्रत कथा
एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की कन्या थी। और इस वजह से वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी। कुछ समय बाद वीरावती का विवाह हो गया. वीरावती विवाह के बाद एक बार अपने मायके आई और उसने करवाचौथ का व्रत रखा । लेकिन वो भूख प्यास से परेशान होने लगी, उसकी ये हालत देखकर उसके भाई परशान होने लगे। तब भाइयों ने उससे खाना खाने को कहा, लेकिन उसने कहा कि उसका करवा चौथ का व्रत है। और वो चंद्रमा को देखने के बाद ही खाना खा सकती है और पानी पी सकती है।
बहन की इस हालत को देखकर उसके भाइयों ने पीपल के पेड़ पर दीया जलाकर चलनी की ओट में रख दिया। और कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अघ्र्य देने के बाद खाना खा लो। वीरावती ने चांद को देखा और उसके बाद पानी पी लिया । जैसा ही उसने पहला टुकड़ा खाना खाया उसे छींक आ गई। दूसरा टुकड़े में बाल निकल आया. इसके बाद उसके पति के मरने की खबर आ गयी ।
वीरावती ने अपनी भाभी पूरे बात बताई उसे बताया गया कि करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने की वजह से ऐसा हुआ। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा. इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा। उन्होंनें वीरावती को सदा सुहागिन का वरदान दिया और उसके पति को जीवित कर दिया ।