एक बार फिर सेना में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है। ट्विट पर ये मुद्दा कुछ ज्यादा ही छाया हुआ है।
नई दिल्ली: एक बार फिर सेना में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग ने जोर पकड़ा है। ट्विट पर ये मुद्दा कुछ ज्यादा ही छाया हुआ है। # अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा काफी ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर पर इसको लेकर एक मुहिम चलाई गई है। जिसमें अब तक काफी लोग जुड़ गए हैं लगातार लोग जुड़ते जा रहे हैं। हर मिनट पर कोई न कोई ट्विट अहीर रेजिमेंट को लेकर किया जा रहा है। अहार समाज के लोगों की मांग है कि देश के हीत में जितेन भी अहीर समाज के लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई है उन सैनिकों के सम्मान में अहीर रेजिमेंट का गठन किया।
बता दें कि अहीर समाज के लोगों का कहना है कि अहारी समाज के सैनिकों ने सुभाष चद्र बोस की सेना में शामिल होकर देश भक्ति का अनुठी मिसाल कायम की थी। अहीर समाज ने ब्रिटिश सरकार से पुरूस्कार लेने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद अंग्रेजों ने इस रेजिमेंट को भंग कर दिया था। लेकिन आज फिर देश में अहार रेजिमेंट की मांग उठ रही है। जिसको लेकर अब तक 281K से ज्यादा ट्वीट हो चुके हैं।
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वहीं जहां एक तरफ भारत की चीन के साथ सीमा के विवाद को लकर तनाव बढ़ता जा रहा है वहीं इस मांग ने तेजी पकड़ ली है। वहीं सोशल मीडिया पर इसके सहयोग में तरह-तरह के ट्विट किए जा रहे। कुछ पोस्ट में कहा गया है कि। चीन के साथ हुए 1962 के युद्ध में अहीर समाज के सैनिकों ने भी अपने जोहर दिखाए थे। वहीं एक यूजर ने कहा कि देश में अहीर समाज के काफी लोग हैं इसके बवाजूद अहीर रेजिमेंट न होना अहीर समाज के साथ अन्याय का बाईस है। एक यूजर ने राजपाल यादव की वीडियो शेयर की है जिसमें वो अहीर रेजिमेंट का सहयोग करते नजर आ रहे हैं। राजपाल यादव ने भी अहीर रेजिमेंट का सहयोग किया है।
#अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा ,The brave caste who has always dedicated for the safety and security of the country, should get the due respect without any partiality. @nityanandraibjp@nityanandoffice@ahir_hansraj#अहीर_रेजिमेंट_हक़_है_हमारा pic.twitter.com/JdOOQDTdb9
— Abhyuday Anurag (@AbhyudayAnurag) June 7, 2020
काफी पुरानी है मांग
बता दें कि इससे पहले भी साल 2016 में इस रेजिमेंट को लेकर मांग हो चुकी है। ऑल इंडिया यादव महासभा ने इसके लिए 2016 में आवाज उठाई थी। वहीं रेजांगला शहीद फाउंडेशन भी इसे लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुकी है। सपा ने चुनावी फायदे को ध्यान में रखते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में अपने घोषणापत्र में अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट बनाए जाने का ऐलान किया था। यादव समाज का कहना है कि 1962 के युद्ध में कुल 114 सैनिक शहीद हुए थे, जिनमें से 112 यादव थे। इन सैनिकों ने चीन के सैंकड़ों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। इसलिए सम्मान स्वरुप अहीर रेजिमेंट बनाई जानी चाहिए।
सरकार कर चुकी हैं इंकार
भले ही अहीर रेजिमेंट की मांग ने फिर से जोर पकड़ लिया हो, लेकिन इसका सरकार पर कोई असर होगा इसकी संभावना कम है। क्योंकि मोदी सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि जातियों के नाम पर अब कोई नई रेजिमेंट नहीं बनाई जाएगी। ससंद में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक के बताया था कि सरकार की नीति किसी विशेष वर्ग, समुदाय, धर्म या क्षेत्र के लिए कोई नई रेजिमेंट गठित करने के नहीं रही है। सरकारी नीति के अनुसार, देश के सभी नागरिक सेना में भर्ती होने के पात्र हैं।
अभी सेना में हैं 23 रेजिमेंट
सेना में रेजिमेंट की बात करें तो मौजूदा समय में सेना में 23 रेजिमेंट हैं। इनमें से कुछ जातियों और इलाकों के नाम पर बनाई गई हैं। जैसे कि राजपूत रेजिमेंट, जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, पंजाब रेजिमेंट, बिहार रेजिमेंट, असम रेजिमेंटम गोरखा रेजिमेंट और डोगरा रेजिमेंट।