नई दिल्ली। आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा की राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात पर चीन के विरोध को भारत ने गलत बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप का कहना है कि धर्मगुरु दलाई लामा एक सम्मानति और प्रतिष्ठित आध्यात्मिक नेता हैं। नोबेल पुरस्कार विजेताओं द्वारा आयोजित यह एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम था जो बच्चों के कल्याण के लिए समर्पित था जिसमें उन्होंने भाग लिया और राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की।
इससे पहले भी चीन जता चुका है नाराजगी :-
इस महीने की शुरुआत में चीन ने तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु के अरुणाचल प्रदेश की यात्रा और मंगोलिया दौरे पर भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी। चीन के जेंग शुआंग ने आपत्ति जताते हुए कहा कि चीन इससे असंतुष्ट है और इस दौरे का पुरजोर विरोध करता है। दलाई लामा राजनीतिक वनवास में है और काफी समय से चीन विरोधी गतिविधियों में शामिल है। वे धर्म के नाम पर तिब्बत को चीन से अलग करने का प्रयास कर रहा है जिससे वो अन्य देशों के आधिकारिक संपर्क का विरोध कर रहा है।
बीजिंग 14वें दलाई लामा पर अलगाववादी गतिविधियों का आरोप लगाता रहा है। निर्वासित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा साल 1959 से भारत में है। हालांकि आधात्मिक धर्मगुरु का दावा है कि वह सिर्फ तिब्बत की स्वायत्तता चाहते हैं। इसके साथ ही चीन ने कहा इसका असर भारत और चीन के रिश्तों पर पड़ सकता है इसलिए नकारात्मक असर को दूर करने के उपयुक्त कदम उठाए।