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गायों के प्लाज्मा से बनी कोविड-19 एंटीबॉडी अगले महीने उपचार के लिए तैयार

cow गायों के प्लाज्मा से बनी कोविड-19 एंटीबॉडी अगले महीने उपचार के लिए तैयार

एक दक्षिण डकोटा कंपनी का कहना है कि गायों के प्लाज्मा से बनी कोविड-19 एंटीबॉडी अगले महीने उपचार के लिए तैयार है।

नई दिल्ली। एक दक्षिण डकोटा कंपनी का कहना है कि गायों के प्लाज्मा से बनी कोविड-19 एंटीबॉडी अगले महीने उपचार के लिए तैयार है। अगले महीने इसका परीक्षण मानवों पर करने की उम्मीद जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि ये सिर्फ एक गाय के प्लाज्मा से नहीं बनी है बल्कि कई ऐसे जानवरों की प्रणाली से तैयार की गई है। जो मानव का हिस्सा है। इस तरह जानवरों के प्लाज्मा से कोविड-19 से लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार की जाती है जो बाद में वायरस पर हमला करने के लिए दवाई के रूप में इस्तेमाल की जाती है।

SAB Biotherapeutics के सीईओ एडी सुलिवन ने CNN को दिए एक बयान में कहा कि जानवरों के इस्तेमाल से कोरोना को मारने वाली एंटीबॉडी तैयार की जा रही है। वहीं हम इसको क्लिनिक में भेजने के लिए उत्सुक हैं। क्योंकि हम कोविड-19 का इलाज करने के लिए इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

हालांकि इसको लेकर कंपनी ने यह नहीं बताया कि इसका परीक्षण कितने लोगों पर किया जाएगा और इससे सही होने में उनको कितना वक्त लगेगा। वहीं इसकी दवा बनाने के लिए SAB ने त्वचा की कोशिकाओं को गाय के अंदर प्रेवश किया और जीनस्टैट को इसकी जिम्मेदारी दी। उसके बाद एक इंजीनियर ने इसको मानव की बॉडी में डाला और फिर उन कोशिकाओं को गायके अंडे में डालकर इसे एक अलग भ्रूण में बदल दिया। फिर उन्होंने गर्भधारण शुरू करने के लिए उस भ्रूण को गाय में प्रत्यारोपित किया, और पिछले दो दशकों में, आंशिक रूप से मानव प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ कई सौ आनुवंशिक रूप से समान गायों का इसी तरह इस्तेमाल किया।

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वहीं वैज्ञानिकों ने कुछ गायों को कोविड-19 से संक्रमित इंसानों से संक्रमित किया। फिर उस एंटीबॉडी को उन गायों में डाला जो कोविड-19 से संक्रमित थी। SAB ने अपने नैदानिक परीक्षणों के लिए SAB-185 नामक दवा का  सैकड़ों खुराक के रूप में निर्माण किया है। कंपनी ने अभी तक यह घोषणा नहीं की है कि वह कोविड -19 से लड़ने में या उसकी रोकथाम में दवा का काम करेगी या नहीं।

बता दें कि इस दवा के पीछे का सिद्धांत काफी पुराना है। क्योंकि डॉक्टरों ने पीड़ित रोगियों के लिए उन लोगों का रक्त लिया जो पहले इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। जिससे बीमारी से लड़ने वाली एंटीबॉडी का निर्माण किया जाए। कोविड-19 के लिए इस प्लाज्मा को दीक्षांत प्लाज्मा कहा जाता है। जिसका इस्तेमाल आज भी किया जाता है।

वहीं SAB का कहना है कि गायों में मानव से ज्यादा मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होती है। जो मानव में नहीं होती लेकिन जब मानव और गायों का प्लाज्मा मिलाकर दवाई बनाई जाती है तो वो वोविड-19 से लड़ने के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। गाय इंसानों से बडी होती है। वहीं वो मनुष्य के मुकाबले महीने में एक बार की बजाय तीन पर प्लाज्मा दे सकती है।

SAB के अनुसार, गाय के प्लाज्मा से बनी उनकी दवा में अध्ययन किए गए मानव नमूनों में सबसे शक्तिशाली एंटीबॉडी की तुलना में चार गुना अधिक एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने का स्तर है। पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में किए गए इस शोध को कंपनी द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में साझा किया गया था, और प्रकाशित नहीं किया गया था या इसकी समीक्षा नहीं की गई थी।

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