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5वें आयुर्वेद दिवस पर देश को मिलेंगे दो आयुर्वेद संस्थान, जानें इनके बारे में

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नई दिल्ली। आज देशवासियों के लिए बहुत ही शुभ दिन है क्योंकि आज धनतेरस है। इस दिन घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है। इस त्यौहार को लोगों द्वारा बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। साथ ही इस दिन को आयुष मंत्रालय द्वारा 2016 से आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस बार 5वें आयुर्वेद दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भविष्य के लिए दो तैयार आयुर्वेद संस्थान राष्ट्र को समर्पित करेंगे। प्रधानमंत्री का उद्देश्य देश को अधिक आत्मनिर्भर बनाना है। देश को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा अथक प्रयास किए जा रहे हैं और साथ ही पर्यावरण को बचान के लिए नए नए प्रोजेक्ट तैयार किए जा रहे हैं। इस समय भारत देश में आयुर्वेद को भी सबके सामने उभारने की प्रक्रिया चल रही है।

हर साल किया दिन मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस

बता दें कि आयुष मंत्रालय 2016 से हर साल धनवंतरि जयंती (धनतेरस) के अवसर पर ‘आयुर्वेद दिवस’ मनाता है। इस साल, यह दिवस 13 नवंबर को पड़ रहा है। अभी हाल ही में संसद के एक अधिनियम द्वारा सृजित किया गया जामनगर का संस्‍थान विश्‍व स्‍तर के स्‍वास्‍थ्‍य सेवा संस्थान के रूप में उभरने के लिए तैयार है। आईटीआरए में 12 विभाग,  तीन नैदानिक प्रयोगशालाएं और तीन अनुसंधान प्रयोगशालाएं स्‍थापित की गई हैं। ये संस्‍थान- भारतीय आयुर्वेद शिक्षण अनुसंधान (आईटीआरए) संस्‍थान जामनगर और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) जयपुर हैं। दोनों संस्थान देश में आयुर्वेद के प्रमुख संस्थान हैं। आईटीआरए को संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनए) का दर्जा दिया गया है। जबकि आईएनए को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा सम-विश्‍वविद्यालय (डीम्‍ड टू बी यूनिवर्सिटी) का दर्जा दिया गया है। यह पारंपरिक चिकित्सा में अनुसंधान कार्य में अग्रणी संस्‍थान है और वर्तमान में  यहां 33 अनुसंधान परियोजनाएं चल रही हैं।

राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्राप्‍त करने चाला आयुष क्षेत्र का पहला संस्थान

आईटीआरए का गठन गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिसर, जामनगर में स्थित चार आयुर्वेद संस्थानों के समूह को मिलाकर किया गया है। यह आयुष क्षेत्र का ऐसा पहला संस्थान है, जिसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्राप्‍त है। उन्‍नयन दर्जे के साथ इस संस्‍थान को आयुर्वेद शिक्षा के मानकों को उन्‍नयन करने में स्वायत्तता प्राप्‍त होगी। क्योंकि यह संस्‍थान आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार पाठ्यक्रम उपलब्‍ध कराएगा। इसके अलावा आयुर्वेद को एक समकालीन स्‍वरूप प्रदान करने के लिए अंतर-विषयी सहयोग का भी निर्माण करेगा।

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