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कांग्रेस ने जारी की बुकलेट ‘खेती का खून’, राहुल बोले- गुलाम होने पर मानोगे मेरी बात

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ दो महिने से लगातार किसान आंदोलन जारी है। इस कड़ाके की सर्दी के बीच किसान खुले आसमान के नीचे रात बिताने के लिए तैयार हैं। लेकिन आंदोलन खत्म करने के लिए राजी नहीं है। राकेश टिकैत ने साफ कर दिया है कि जब तक कानून वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं। 9 दौर की वार्ता में भी कोई नतीजा नहीं निकला अब बुद्वार यानी 20 जनवरी को किसान संगठन और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत होनी है। इसी के साथ 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में भी इस मसले को लेकर सुनवाई होनी है। अब किसानों का मुद्दा सरकार के गले की फांस बन चुका है। इधर किसानों ने 26 जनवरी को रैली निकालने की इजाजत मांगी तो सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कर दिया कि दिल्ली में कौन आएगा कौन जाएगा इसका फैसला दिल्ली पुलिस करेगी। इसी बीच विपक्ष सरकार पर लगातार हमलावर है खासतौर से राहुल गांधी मोदी सरकार पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। आज कांग्रेस नेता और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रेस काॅन्फ्रेंस की इस दौरान उन्होंने सरकार पर जमकर निशाना सादा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि तीनों कृषि कानून खेती को बर्बाद कर देंगे। मैं इनका विरोध करता रहूंगा। मैं जेपी नड्डा के सवालों का जवाब नहीं दूंगा, सिर्फ किसानों और देश के सवालों का जवाब दूंगा।

 

राहुल गांधी ने कहा, ‘आज देश के सामने एक त्रासदी आ गई है, सरकार देश की समस्या नजरअंदाज करना चाहती है और गलत सूचना दे रही है। मैं अकेले किसानों के बारे में बोलने वाला नहीं हूं। किसानों का संकट इस त्रासदी का एक हिस्सा मात्र है। यह युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह वर्तमान के बारे में नहीं बल्कि आपके भविष्य के बारे में है।’ उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की कोशिशों के बावजूद किसान थकने वाले नहीं हैं क्योंकि ‘वे प्रधानमंत्री से ज्यादा समझदार हैं।’

 

जारी की ‘खेती का खून’ बुकलेट-

राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में कृषि कानूनों पर ‘खेती का खून तीन काले कानून’ नाम से बुकलेट जारी की। खेती में एकाधिकार का सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आज तक कृषि क्षेत्र का फायदा किसानों और मजदूरों को मिलता था। एक ढांचा था जिसमें मंडिया, आवश्यक वस्तु अधिनियम व अन्य कानून शामिल थे। नए कृषि कानून से तीन-चार लोगों के हाथों में देश की पूरी खेती का ढांचा चला जाएगा। देश को सिर्फ कुछ लोग चला रहे हैं। चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।

 

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