नई दिल्ली। सूबे में निजाम बदला तो बीते सरकारों के कारनामों की फाइलों की जांच भी शुरू हो गई है। गोमती रिवर फ्रंट से शुरू हुई जांच में अब योगी सरकार ने अपना दायरा नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटीज की जांच तक पहुंचा दिया है। बीते कई सालों से इन अथॉरिटीज पर भ्रष्टाचार के संगीन आरोप लगते रहे हैं। यहां तक कि इनके वीसी को भी हाईकोर्ट ने हटाने के आदेश तक बीती सरकार ने दिए थे। ये अथॉरिटीज के बीती सरकारों के लिए सोने की चिड़िया रही हैं। अब मौजूदा योगी सरकार बीते 10 सालों में इन अथॉरिटीज में दफन हुए कारनामों को खंगालने में जुटी हुई है।
योगी सरकार अब नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस अथॉरिटीज की जांच सीएजी(कैग) के जरिए कराने का मन बनाया है। इसके बाद से इस योगी सरकार का पूर्ववर्ती सरकारों के खिलाफ उठाने वाला बड़ा कदम बताया जा रहा है। अभी तक इन अथॉरिटीयों का ऑडिट राज्य में ही होता रहा है। सूत्रों की माने तो योगी सरकार ने अब बीते 10 सालों के सारे हिसाब-किताब का ऑडिट केन्द्र सरकार से जुड़ी एजेन्सी से कराने का मन बनाया है। माना जा रहा है कि एक तो इससे काम का पारदर्शिता बढ़ेगी। इसके साथ ही भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसी जा सकेगी।
बीती सरकारों के कार्यकाल में ये अथॉरिटीयां अपने भ्रष्टाचार के लिए हमेशा से चर्चा में रही हैं। बीती सरकारें इन अथॉरिटीयों की कमान भी अपने चहेतों को ही सौपती रही है। इसके साथ ही इनके खातों की जांच लोकल फंड ऑडिट डिपार्टमेंट करता रहा है। बीते काफी समय से यहां पर फ्लैट खरीदने वाले इन अथॉरिटीयों में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। लेकिन अब योगी सरकार ने इन अथॉरटीयों के काले कारनामों का चिठ्ठा खोलने का मन बनाया है। इसके लिए प्रदेश के प्रमुख सचिव औद्योगिक विकास आलोक सिन्हा ने बीते 11 जुलाई को विशेष सचिव मोनिका रानी को एक पत्र भेजा है।