दुनिया की सबसे प्रदूषित नदियों में से एक गंगा को बचाने के लिए अब प्रशासन ने कमर कस ली है। गंगा को बचाने के लिए देश की सर्वोच्च हरित अदालत ने फैसला लिया है कि गंगा नदी के 500 मीटर के दायरे में अगर कोई भी कूड़ा-कचरा डालेगा तो उस पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। देश की सबसे ज्यादा पूजी जाने वाली गंगा नदी को बचाने और अधिक दूषित होने से बचाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने गंगा नदीं को और अधिक दूषित होने से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से मदद की अपील की है। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार से गंगा नदीं के किनारे लगी हुई चमड़ा फैक्ट्री को वहां से हटाने के निर्देस दिए हैं जिससे चमड़ा फैक्ट्री से निकलने वाला प्रदूषण गंगा नदी में ना जा सके। वही एनजीटी ने उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर गंगा और उसकी सहायक नदियों पर होने वाली धार्मिक गतिविधियों के लिए एक जरूरी पैमाना तैयार करने के लिए कहा है।
आपको बता दें कि गंगा नदी में रोजाना काफी ज्यादा मात्रा में कचरा फेंका जाता है। गंगा नदी का पानी पवित्र हिमालय की चोटियों से पिघल कर पानी गंगा नदी में जाता है। लेकिन अलग अलग जगहों से होते हुए वह काफी मात्रा में प्रदूषित हो जाता है। गंगा नदीं का पानी धार्मिक गतिविधियों के लिए तो कभी किसी और चीज के लिए किया जाता है। लेकिन इस सब से काफी ज्यादा प्रदूषित हो जाता है। वही रोजाना फेंके जाने वाला करीब 480 करोड़ सीवेज में से सिर्फ इसका एक चौथाई से भी कम सीवेज का ट्रीटमेंट हो पाता है।