नई दिल्ली। 2017 विधान सभा चुनाव में किसानों की कर्जमाफी को अपना मुद्दा बनाकर पूर्ववर्ती सरकारों के इसके लिए जिम्मेदार ठकराती हुई बीजेपी ने सत्ता हासिल कर ली । इसके बाद पहली कैबिनेट में किसानों को लेकर घोषणाएं हुईं। जिसमें सूबे में किसानों के कर्जमाफी का भी ऐलान किया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने इस को एक प्रोजेक्ट के तौर पर केन्द्र सरकार के साथ राज्य सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों के बीच रखा। इस पर व्यापक अध्ययन और तैयारी कर एक रूपरेखा प्रस्तुत की गई । जिसको योगी कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ और केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को सूबे के किसानों को समर्पित करते हुए स्मृति उपवन में करीब 7,500 किसानों को प्रमाण पत्र दिया।
इस अभूतपूर्व आयोजन पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पहले सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह किसानों के कल्याण का काम करेगी, यह काम योगी जी की सरकार ने किया है। किसानों के हितों के लिए जो काम यूपी के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने किया है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है। देश के अन्नदाता के लिए यह हमारे प्रधानमंत्रीजी ने संकल्प लिया है कि 2022 तक हमें किसानों की आमदनी दोगुनी करनी है। जब तक लागत मूल्य में कमी नहीं आएगी तब तक किसानों के लिए खेती फायदे का सौदा नहीं होगी। हम समझते हैं कि जब तक भारत का किसान और गरीब खुशहाल नहीं होगा, तब तक नए भारत का निर्माण नहीं हो सकता है।
किसानों को सम्बोधित करते हुए सीएम योगी ने पहले तो वहां पर आये सभी किसानों को धन्यवाद और साधुवाद ज्ञापित किया। इसके बाद उन्होने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश के पीएम नरेन्द्र मोदी जी ने 2022 तक देश के किसानों को स्वावलंबी बनाने का लक्ष्य रखा है। केन्द्र सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की पूर्ति की योजना बनाई है। यह कार्य राज्यों के माध्यम से होगा। जिसमें राज्य सरकार पूरी तरह से लगी हुई है। विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए सीएम योगी ने कहा कि पिछले 15 सालों तक उत्तर प्रदेश में किसान सत्तारूढ़ पार्टियों के एजेंडे में नहीं रहा है। जिसके चलते किसान और गरीब होता गया, कर्ज के तले दबता गया, लेकिन उनके उत्थान के लिए कार्य नहीं हुआ है। सरकार बनते ही पहली कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि किसानों की फसलों का ऋण मोचन किया जाएगा। इस योजना के तहत 86 लाख किसानों का फसल ऋण मोचन किया जा रहा है। फसल ऋण मोचन योजना के तहत 70 लाख से ज्यादा किसानों के वैरिफिकेशन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है, खाते भी आधार से लिंक्ड हो गए हैं। सरकार द्वारा किसानों के सम्मान और स्वावलंबन के लिए ही यह योजना लाई गई है। यह कोई उपकार नहीं है।
इस योजना के तहत 7500 किसानों को प्रमाणपत्र दिया गया। इसके साथ ही इस योजना का लाभ सिर्फ लघु और सीमांत किसानों को दिया जा रहा है। जिनके पास खेती के लिए 5 एकड़ भूमि है और उन्होने 1 लाख रूपये तक का कर्ज ले रखा है। प्रदेश में ऐसे करीब 86 लाख किसान हैं। सरकार ने किसानों के कर्ज माफी के लिए 36 हजार करोड़ के बजट का ऐलान किया है। पहले चरण के प्रथम किस्त में करीब 27.5 लाख किसानों को ये सुविधा मिलने जा रही है। इस सुविधा को पाने वाले इन किसानों के आधार कार्ड खाते से लिंक कर दिए गए हैं।
आने वाले 5 सितंबर से इस योजना के तहत जिलों में मंत्री कर्ज माफी के प्रमाण पत्रों के किसानों में वितरित करेंगे। इसके लिए युद्ध स्तर पर किसानों के खातों को लिंक करने का काम चल रहा है। इसके साथ ही वेरीफिकेशन का भी काम किया जा रहा है। कर्ज माफी केवल फसली ऋण पर देने की सरकार ने योजना बनाई है। इसके तहत ही किसानों को राहत दी जा रही है।