आगरा। डोकलाम में भारत और चीन के विवाद के बाद सोशल मीडिया पर भारतीयों से चीनी राखी न खरीदने की अपील की गई थी। जिसका असर भारत की मार्किट में देखने को मिल रहा है और जिसके बाद मार्किट में चीनी राखियां बिकनी बंद हो गई है। मार्किट में एक भी चीनी राखी नहीं दिखाई दे रही है। व्यापारियों का कहना है कि इसकी वजह शायद जनसभा और देश भक्ति हो सकती है। जिसकी वजह से चीनी राखियां मार्किट से गायब हो गई है। इस बार सारे बाजार भारत में बनी राखियों से सजे हुए हैं और उनकी ही अच्छी बिक्री भी हो रही है। इस साल रक्षाबंधन 7 अगस्त को है।
बता दें कि सोशलमीडिया पर चीन के उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम चल रही है और इसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है। राखी के सामान में चीन के उत्पाद नदारद नजर आ रहे हैं। शाहगंज के राखी विक्रेता मुकेश ललवानी कहते हैं कि इस साल खुद रक्षाबंधन के सामानों की बिक्री करने वाले दुकानदारों ने बड़ी संख्या में चीन के उत्पादों के बहिष्कार का फैसला किया है। चीन हमारे पैसों का प्रयोग हमें ही धमकाने के लिए कर रहा है। हम उन्हें पैसे कमाने का मौका क्यों दें?
साथ ही एक दुकानदार ललवानी का कहना है कि इस बार हमारे पास सिर्फ वहीं राखियां हैं जो भारत में बनाई गई हैं। ग्राहक उन्हीं का मांग कर रहे हैं। दुकानदार का कहना है कि ये बात अलग है कि भारत में बने उत्पादों की लागत ज्यादा होने के कारण फायदा कम होता है लेकिन फिर सोचते हैं कि भारत के उत्पाद से कमाया हुआ पैसा कम सम कम देश में तो रहता है। किछ इसी तरह की भावनाएं ग्राहकों की भी हैं। सोशल मीडिया पर जिस तरह से चीनी उत्पादों की बहिष्कार हो रहा है उसके चलते हमने फैसला किया है कि हम किसी प्रकार के चीनी उत्पाद का इस्तमाल नहीं करेंगे। सिर्फ भारत में बने उत्पाद की बेचेंगे।