लखनऊ। प्रदेश में लगभग 25 – 30 हजार फिजियोथैरेपिस्ट स्टेट मेडिकल फैकल्टी में इनरोल्ड बताये जा रहे हैं। प्रदेश के राजकीय चिकित्सालय में 504 फिजियोथैरेपिस्ट तैनात हैं जिसमें केवल 57 फिजियोथैरेपिस्ट नियमित व 447 फिजियोथैरेपिस्ट संविदा के आधार पर है। बात करें चिकित्सा शिक्षा में तो फिजियोथैरेपिस्टों की संख्या लगभग स्वास्थ्य विभाग जितनी ही है।
सरकारी अस्पतालों संस्थानों में फिजियोथेरेपिस्टों की संख्या शून्य है। जिसके कारण प्रदेश की जनता इस सुविधा का लाभ नही ले पा रही है। वही हजारों की संख्या में प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट बेरोजगारी का दंष झेल रहे है। यह कहना है प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसो के महामंत्री अनिल कुमार का।
प्रोवेन्शियल फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल मिश्रा ने बताया कि फिजियोथेरेपी एक चमत्कारी चिकित्सा पद्धति है। आधुनिक युग में महत्वपूर्ण औषधि रहित व साइड इफेक्ट से परे, एक ऐसी विधा है जो पूरी तरह से विभिन्न रोगों के उपचार में प्रभावी व कारगर है।
आज की भागदौड़ भरी व तनावपूर्ण जीवन शैली में हम प्रायः विभिन्न प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं,ऐसे में फिजियोथेरेपी एक महत्वपूर्ण विधा है जो शरीर को मजबूत बनाने में कारगर साबित होती है। जिसके द्वारा जोड़ों को पूर्ण रूप से गतिशील व मांसपेशियों को सुदृढ़ किया जा सकता है।
वर्तमान परिवेष में अधिकांष लोग कमर दर्द, गर्दन दर्द, गठिया, लकवा तथा अन्य विभिन्न प्रकार की व्याधियों से ग्रसित हो रहे हैं।