- भारत खबर || नई दिल्ली
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते विश्व भर के लोगों ने डब्ल्यूएचओ WHO पर एक बड़ा आरोप लगाया है। लोगों का कहना है कि इस बीमारी के चलते डब्ल्यूएचओ WHO ने चीन के इशारों पर काम किया है। इसी कारण उसे नोबेल शांति पुरस्कार Nobel Prize नहीं दिए जाने पर चीनी मीडिया ने बहुत बवाल किया है। बताते चलें कि चीन के चीन के सरकारी भोंपू ग्लोबल टाइम्स के एडिटर हू शिजिन ने नोबेल शांति पुरस्कार को लेकर बहुत बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि अब नोबेल शांति पुरस्कार बेकार हो चुका है और उसे बंद कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि नोबेल कमेटी के अंदर इतना साहस नहीं है कि वह डब्ल्यूएचओ WHO को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करें। क्योंकि उनका यह कदम अमेरिका को भड़काने वाला सिद्ध होगा। इसलिए नोबेल पुरस्कार को रद्द कर देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि यह केवल बड़े लोगों की दलाली करने के अलावा और कुछ नहीं करता।
सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि सन् 2020 में डब्ल्यूएचओ WHO को नोबेल शांति पुरस्कार Nobel Prize से सम्मानित किए जाने की बात कही गई थी। वैश्विक स्तर पर कोरोना संकट से लड़ने के लिए ओस्लो में नोबेल समिति के अध्यक्ष बेरिट रेइस एंडरसन ने डब्ल्यूएचओ WHO को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाने की बात कही थी।
नोबेल समिति का यह मानना है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के चलते पूरे विश्व में असंख्य लोगों को भूख और गरीबी का सामना करना पड़ रहा है। भूख व आर्थिक तंगी से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। नोबेल समिति ने वर्तमान सरकारों से यह कहां है कि वह विश्व खाद्य कार्यक्रम और अन्य सहायता संगठनों को वित्तीय मदद सुनिश्चित करें जिससे भूख व आर्थिक तंगी से पीड़ित लोगों को भोजन सुविधा प्रदान की जा सके।
कोरोना संक्रमण के चलते कई देशों ने डब्ल्यूएचओ पर चीन की दलाली करने का आरोप लगाया है। इसी के चलते अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी डब्ल्यूएचओ पर गंभीर आरोप लगाया है। और उन्होंने अमेरिका के द्वारा दी जा रही फंडिंग को भी रोक दिया है व फंडिंग देने से मना कर दिया है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि डब्ल्यूएचओ WHO को इस संक्रमण की जानकारी पहले से ही थी। लेकिन उसने चीन से भारी मात्रा में रुपया लेकर इस संक्रमण के खतरे की खबर को प्रसारित नहीं किया और उसका अंजाम यह हुआ कि आज पूरे विश्व में कोरोनावायरस चरम सीमा पर है।