लखनऊ: किससे पूछूं की कहां गुम हूं कई बरसों से, हर जगह ढूंढता फिरता है मुझे घर मेरा… निदा फ़ाज़ली का शेर बच्चों के मर्म को उस वक्त उकेर देता है, जब उन्हें घर छोड़ने का एहसास होता है। इस भीड़ में वह सारे रिश्ते छोड़कर वो खुद को तन्हा महसूस करते हैं। जी हां, यह बात हम नहीं बल्कि चाइल्ड लाइन के आंकड़े बयां कर रहे हैं।
कोरोना काल में मां-बाप की डांट-फटकार से नाराज होकर घर छोड़कर आए बच्चे अब घर जाने की जिद कर रहे हैं। चाइल्ड लाइन ने कांउसिंग के बाद अब तक 26 बच्चों को सही सलामत घर पहुंचाया है। वहीं, नौ बच्चे ऐसे हैं, जो घर जाना नहीं चाहते या फिर किसी कारणवश मां-बाप उन्हें ले जाना नहीं चाहते।
पहला केस: पहले बता रहा था गलत पता
बीते आठ मार्च को पुलिस ने चाइल्ड लाइन को एक नाबालिग लड़का सौंपा था। जब टीम ने उसके घर वालों के बारे में पूछा तो उस वक्त नाबालिग ने अपना पता गलत बताया। मेडिकल टेस्ट के बाद उसे मोहान रोड के राजकीय बालगृह बालक में आश्रम दिया गया। समय-समय पर उसकी काउंसलिग कराई गई। फिर भी उसने अपना सही नाम नहीं बताया।
करीब डेढ महीने बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह घर जाने की जिद करने लगा। इसके बाद नाबालिग ने टीम को सही जानकारी दी। तब पता चला कि वह बिहार राज्य के मौनावार्ड का रहने वाला है। इसके बाद चाइल्ड लाइन टीम ने बच्चे का पता ट्रेस करके उसे सुरक्षित घर पहुंचाया।
दूसरा केस: मामा से नाराज होकर छोड़ा घर
बीते नौ मार्च को आलमबाग बस स्टैंड से पुलिस को एक नाबालिग बच्चा मिला था। इसके बाद पुलिस ने उसे चाइल्ड लाइन के हवाले कर दिया था। पूछताछ के दौरान नाबालिग ने बताया कि वह आगरा जनपद के सोंठ मंडी का रहने वाला है। उसके पिता नहीं हैं और वह मामा के घर पर रहता है।
मामा सुनार का काम करते हैं। किसी बात को लेकर मामा ने उसकी पिटाई कर दी थी। इससे वह घर छोड़कर भाग गया था। हफ्ते भर बाद उसे परिजनों की याद सताने लगी तो वह घर जाने की जिद करने लगा। इसके बाद टीम ने उसका पता ट्रेस करके उसे घर पहुंचाया दिया।
यह है बड़ा कारण
मां-बाप से बिछुड़े बच्चों को चाइल्ड लाइन शहर के शेल्टर होम में रख देती है। आमतौर पर अनाथालय में कोई न कोई उनके पास आता रहता था। इसके चलते बच्चों को घर की याद कम आती थी, लेकिन कोरोना काल में शेल्टर होम में बाहरी लोगों पर पाबंदी लगा दी गई है। इससे बच्चों को अनाथालय में अपने कुछ साथियों के साथ ही रहना पड़ा है। ऐसे में वह किसी से मिलजुल नहीं पा रहे हैं। अब उन्हें अपनों की याद सता रही है। घर जाने के लिए बच्चे अब अपना सही पता भी बता रहे हैं।
सोशल मीडिया का इफेक्ट
एक्सपर्ट की मानें तो सोशल मीडिया का बच्चों पर काफी बुरा असर पड़ा रहा है। अमूमन हिन्दी फिल्मों में यह सीन दिखाया जाता है कि बच्चा घर से भागने के बाद एक बड़ा आदमी यानी अमीर शख्स बन जाता है। ऐसे सीन्स को देखकर बच्चे सच मानने लगते हैं। इस वजह से भी कई बच्चे घर छोड़कर चले जाते हैं।
बच्चे बता रहे सही पता
सिटी चाइल्ड लाइन के काउंसलर कृष्ण शर्मा ने बताया कि, राजधानी में जो भी बच्चे चाइल्ड लाइन टीम को मिल रहे हैं। उनमें घर से नाराज होकर भागने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। बच्चों की लगातार कांउसलिंग कराई जा रही है। घर जाने की चाह में बच्चे अपना सही पता बता रहे हैं। बाल विकास कल्याण अधिकारी डॉक्टर संगीता शर्मा ने बताया कि, जो बच्चे शेल्टर होम में रह रहे हैं उनकी लगातार काउंसलिंग कराई जा रही है।