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दलित उत्पीड़न के खिलाफ चंद्रशेखर के इस ऐलान से हड़कंप, योगी सरकार चौकन्ना

Chandrashekhar Azad दलित उत्पीड़न के खिलाफ चंद्रशेखर के इस ऐलान से हड़कंप, योगी सरकार चौकन्ना

लखनऊ। आजमगढ़ (Azamgarh) में थाना रौनापार (Raunapar) के अंतर्गत आने वाला गांव पलिया (Paliya) सुर्खियों में बना हुआ है। यहां पर प्रधान मुन्ना पासवान (Munna Paswan) और उनके समुदाय के लोगों ने पुलिस द्वारा उत्पीड़न करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस मामले के बीच इसी गांव की एक महिला का वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो गया है। इस वीडियो में महिला ने स्थानीय सीओ पर जो गंभीर आरोप लगाए हैं, वो किसी भी संभ्रांत समाज के लिए शर्मनाक घटना होगी। इस वीडियो ने योगी सरकार (Yogi Government) की पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले को लेकर बसपा (BSP), सपा (SP), कांग्रेस (Congress), आसपा (ASP), भीम आर्मी (Bheem Army) समेत तमाम राजनीतिक दल एकजुट हो गए हैं। लेकिन, सरकार की ओर से अभी तक आरोपित पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई भी एक्शन नहीं लिया गया है। जिसके कारण दलित समुदाय में बीजेपी सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है।

इस बीच आसपा (ASP) प्रमुख चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad) ने पलिया गांव जाने का ऐलान कर दिया है। जिसके बाद से यूपी का प्रशासन चौकन्ना हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि चंद्रशेखर के जाने के बाद यूपी में खासकर पूर्वांचल (Purvanchal) में बड़ा सियासी भूचाल आएगा। जिसका असर योगी सरकार पर पड़ना तय माना जा रहा है। बहुजन साइकिल यात्रा (Bahujan Cycle Yatra) के बाद चंद्रशेखर का आजमगढ़ दौरा काफी महत्वपूर्ण होगा।

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ये है पूरा मामला

मामला पिछले 29 जून का है। आजमगढ़ में एक गांव पलिया है। यहां पर एक छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। इस मामले की जांच करने पहुंची पुलिस पर आरोप है कि उसने स्थानीय प्रधान मुन्ना पासवान को थप्पड़ मार दिया था।

जिसके बाद प्रधान समर्थकों ने भी पुलिस के साथ मारपीट कर दी। ग्रामीणों के इस रवैये से नाराज पुलिस ने मुन्ना पासवान (Munna Paswan) के अलावा समाज के कई लोगों के मकान पर बुलडोजर चलवा दिया। ग्रामीणों के आरोंपों के अनुसार पुलिस ने न सिर्फ घर गिराया बल्कि महिलाओं के साथ अभद्रता भी की गई और घरों में रखे कीमती जेवर और सामाना भी पुलिस उठा ले गई।

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जबकि, इस मामले में लगे आरोपों को पुलिस प्रशासन झूठा बता रहा है। पुलिस का कहना है कि स्थानीय लोगों ने कार्रवाई से बचने के लिए खुद ही अपने घरों में तोड़फोड़ की है। थानाध्यक्ष तारकेश्वर राय के अनुसार इस मामले में तीन केस दर्ज किए गए हैं। दो मुकदमों में दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि अधिकांश पुरूष गांव छोड़कर फरार हो गए हैं।

वीडियो ने पुलिस की भूमिका पर उठाए सवाल

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक महिला गंभीर आरोप लगा रही है। जिसमें महिला कह रही है कि सीओ ने पकड़ लिया था। महिला के मुताबिक सीओ जातिसूचक और लिंग आधारित गालियां देते कह रहा था कि दलित महिलाएं मजा देने के लिए ही बनीं हैं। चमा@3 पा@़ की जात, तुम्हारे @#% में डंडा डाल देंगे। महिला के कपड़े उतारने का प्रयास किया गया है। अपने सुहाग की कसम खाते हुए महिला ये सब आरोप लगा रही है। महिला रोते हुए योगी-मोदी से पूछ रही है कि आप तो बेटियों को बचाने की बात करते हैं, क्या आपके अफसर ऐसे ही बचाएंगे।

भीम आर्मी-आसपा ने उठाया मुद्दा, महिलाओं की सुरक्षा के लिए गांव में बैठे, अब चंद्रशेखर भी जाएंगे

दलितों के इस पुलिसिया उत्पीड़न के खिलाफ सबसे पहले भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा खोला है। आसपा के प्रवक्ता सौरभ किशोर ने बताया कि पुलिस का खौफ यहां के लोगों में साफ देखा जा सकता है। महिलाओं के साथ पुलिस के व्यवहार को देखते हुए हमारे कार्यकर्ता वहां पर पहले दिन से ही दिन रात बैठे हुए हैं।

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सौरभ ने बताया कि 19 जुलाई को हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पलिया गांव जाएंगे। वहां पर पीड़ितों से मुलाकात करेंगे। अगर प्रशासन और सरकार इस मुद्दे पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो हम आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में दलितों के ऊपर अन्याय की इन्तेहा हो गई है। इसका जवाब देना बेहद जरूरी हो गया है।

दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो, पीड़ित परिवार को पांच करोड़ मुआवजा दे सरकार: चंद्रशेखर आजाद

भीम आर्मी के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने कहा है कि हम अपनी मां बहनों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमारी मांग है कि रौनापार एसएचओ सहित थाने के सभी दोषी पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर उन पर एफआईआर दर्ज की जाए और मुन्ना पासवान को घर तोड़ने के एवज में पांच करोड़ रूपए की क्षतिपूर्ति दी जाए।

महिला आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि ‘छोटी जाति की औरतें मजा लेने के लिए होती हैं।’ जातिवादी मानसिकता से कुंठित आजमगढ़ पुलिस की भाषा सुनिए। इन पर कार्यवाही करने की बजाए पुलिस महिला को ही दोषी बता रही है। पहले मुन्ना पासवान का घर तोड़ा और अब औरतों के साथ गाली गलौज। शर्मनाक! क्या महिला आयोग जिंदा है?

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