नई दिल्ली। जनवरी के अंत सप्ताह में बजट पेश करने को लेकर सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है, मंगलवार को संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में फैसला किया गया है कि इस बार का बजट सत्र जनवरी माह के अंत में 31 जनवरी को पेश किया जाएगा। यहां पर आपको बता दें कि 1 अप्रैल से पूरे देश में नए वित्तिय साल की शुरुआत होती है, सरकार ने इस बार फैसला लिया है कि बजट सत्र को पहले पेश किया जाए।
बजट सत्र को पहले पेश करने की इच्छा को लेकर सरकार का कहना है कि नए वित्तिय वर्ष की शुरुआत से पहले बजट को पेश किया जाए जिसमें सरकार चाहती है कि बजट में जो भी योजनाएं हो, सरकार को उन योजनाओं को लागू करने में सरकार को आसानी हो। यहां आपको याद दिला दें कि अब तक बजट सत्र फरवरी माह के अंत में पेश होता आया है, इस बार इसमें परिवर्तन कर इसे एक महीने पहले पेश करने की योजना बनाई गई है।
मंगलवार को सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक बुलाई गई। सरकार ने इस फैसले को लेकर पहले ही स्पष्ट किया था कि विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए धन का आवंटन एक अप्रैल से हो जाए।
रेल बजट की परंपरा होगी खत्म- एक लंबे समय से चले आ रहे रेल बजट अलग से पेश करने की अवधारणा इस बार के सत्र में नहीं देखने को मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी की 21 सितंबर 2016 को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि 92 सालों से चल रही रेल बजट की अलग सी परंपरा को समाप्त किया जाएगा। कैबिनेट ने सर्वसम्मति से इस फैसलों को अपना समर्थन दिया जिसमें कहा गया कि रेल बजट को अलग से ना पेश करके अब आम बजट में ही पेश किया जाए।इसके बारे में भारत के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि आगामी सत्र से एक ही बजट लाया जाएगा और विनियोजन विधेयक भी एक ही होगा, साथ ही उन्होंने बताया कि इससे रेलवे की स्वायतत्ता पर को असर नहीं होगा। रेल संबंधी वित्तीय योजनाएं और खर्चे आदि संबंधी मामले आम बजट से 1924 में अलग कर दिए गए थे।