इंदौर। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (66) ने अगला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। सुषमा ने इंदौर में यह घोषणा की। उन्होंने इसके पीछे अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया है। सुषमा ने कहा कि इस तरह के फैसले पार्टी करती है, लेकिन मैंने अगला चुनाव नहीं लड़ने का मन बना लिया है। सुषमा के पति स्वराज कौशल ने विदेश मंत्री के इस फैसले की तारीफ की। सुषमा मध्यप्रदेश के विदिशा से लोकसभा सदस्य हैं। वे देश की सबसे युवा विधायक और किसी राज्य की सबसे युवा कैबिनेट मंत्री रह चुकी हैं। सुषमा 2009 और 2014 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं। 2014 में उन्होंने कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह को चार लाख से ज्यादा वोट से हराया था। सुषमा ने सबसे पहला चुनाव 1977 में लड़ा। तब वे 25 साल की थीं। वे हरियाणा की अंबाला सीट से चुनाव जीतकर देश की सबसे युवा विधायक बनीं। उन्हें हरियाणा की देवीलाल सरकार में मंत्री भी बनाया गया। इस तरह वे किसी राज्य की सबसे युवा मंत्री रहीं।
बता दें कि स्वराज कौशल ने ट्वीट में लिखा, ‘‘आपके इस फैसले के लिए धन्यवाद। मुझे वह वक्त याद आ गया, जब मिल्खा सिंह ने दौड़ना बंद कर दिया था। आपकी मैराथन 1977 में शुरू हुई थी, जिसे 41 साल हो चुके हैं। आपने 1977 से अब तक सभी चुनावों में हिस्सा लिया। हालांकि, दो बार 1991 और 2004 में पार्टी ने आपको चुनाव लड़ने की इजाजत नहीं दी थी। आपने लोकसभा के चार कार्यकाल, राज्यसभा के तीन कार्यकाल पूरे किए। इसके अलावा तीन बार विधानसभा में भी चुनी गईं। जब आप 25 साल की थीं, तब से चुनाव लड़ रही हैं। मैडम, मैं पिछले 46 साल से आपके पीछे भाग रहा हूं। अब मैं 19 साल का नहीं हूं। अब मैं थक गया हूं। आपके इस फैसले के लिए धन्यवाद।’’
वहीं नब्बे के दशक में सुषमा राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गईं। अटलजी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1998 में उन्होंने अटलजी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, इसके बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई। पार्टी की हार के बाद सुषमा ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी और राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सुषमा दक्षिण दिल्ली से सांसद बनी थीं। इसके बाद 13 दिन की अटलजी की सरकार में उन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। मार्च 1998 में दूसरी बार अटलजी की सरकार बनने पर वे एक फिर से आईबी मिनिस्टर बनीं। 1999 में उन्होंने बेल्लारी लोकसभा सीट पर सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वे यहां हार गईं।
साथ ही सुषमा ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा- कांग्रेस पार्टी के सामने सबसे बड़ी दुविधा यह है कि वह राहुल गांधी को जनता के सामने किस रूप में पेश करे। राहुल कभी मंदिर जाते हैं, तो कभी मानसरोवर चले जाते हैं। वे खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण कहते हैं। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार ने मप्र में विकास के कई कार्य किए हैं। उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कोई विरोधी लहर नहीं है। सत्ता विरोधी लहर तब होती, जब सामने कोई बड़ा नेतृत्व होता है।