कोरोना काल के बीच बढ़ी महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। रसोई गैस से लेकर तेल के भाव बढ़ने तक की वजह से अब लोग बहुत सोच समझकर खर्च कर रहे हैं। वहीं इसका असर अब पूरी तरह से डिमांड और उत्पादन पर दिखाई देने लगा है।
मई में 50.8 था PMI
लोगों ने खर्च करना कम किया तो डिमांड घटी। जिसके कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार भी धीमी पड़ गई। आलम ये है कि IHS मार्किट का मैन्युफैक्चरिंग का PMI जून में घटकर 48.1 पर आ गया। जो मई में 50.8 पर था। बताया जा रहा है कि देश में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां पिछले 11 महीनों में पहली बार जून में कमजोर हुई हैं।
आर्थिक गतिविधियां सुस्त हुई
इसकी वजह बड़ी संख्या में लोगों को नौकरियों की कमी। कहते हैं कि PMI इंडेक्स अगर 50 से कम हो तो आर्थिक गतिविधियां सुस्त हो गई हैं। IHS मार्किट की रिपोर्ट के अनुसार जून में कारखानों के नए आर्डर, उत्पादन निर्यात और खरीद में कमी दर्ज की गई। इसके अलावा जून महीने में व्यापार को लेकर सकारात्मकता में कमी आई है, और प्रतिबंधों ने भारतीय सामानों की अंतरराष्ट्रीय मांग को भी कम कर दिया है।
निर्यात ऑर्डर में भी कमी आई
बता दें कि 10 महीनों में पहली बार निर्यात ऑर्डर में भी कमी आई है। IHS मार्किट की आर्थिक संयुक्त निदेशक का कहना है कि भारत में कोविड का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है। नए आर्डर से निश्चित तौर पर उत्पादन प्रभावित होता है। खरीदारी नहीं होगी तो मार्केट में नगदी कैसे आएगी।
उन्होंने बताया कि अगर तकनीकी पहलू से देखें तो पिछले साल की स्थिति नहीं है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट आना चिंताजनक है।