सरकार द्वारा 6 शैक्षणिक ‘उत्कृष्ट संस्थान’ घोषित किए गए हैं। जिनमें सार्वजनिक क्षेत्र से 3 हैं। और निजी क्षेत्र से भी 3 संस्थानों का चयनित किए गए हैं।गौरतलब है कि ‘उत्कृष्ट संस्थान’ के रूप में चयनित प्रत्येक ‘सार्वजनिक संस्थान’ को पांच वर्षों की अवधि में 1000 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाएगी।
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस ऐतिहासिक निर्णय से चयनित संस्थानों को विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थान बनने में मदद मिलेगी।
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3 संस्थान सार्वजनिक क्षेत्र के और 3 संस्थान निजी क्षेत्र के हैं
सरकार द्वारा चयनित 6 उत्कृष्ट संस्थान हैं, जिनमें से 3 संस्थान सार्वजनिक क्षेत्र के और 3 संस्थान निजी क्षेत्र के हैं। बताते चलें कि एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (ईईसी) ने अपनी रिपोर्ट में 6 संस्थानों ”3 संस्थान सार्वजनिक क्षेत्र से और 3 संस्थान निजी क्षेत्र से” का चयन ‘उत्कृष्ट संस्थानों’ के रूप में करने की सिफारिश की थी।
उत्कृष्ट चयनित संस्थान-
सार्वजनिक क्षेत्र – (1) भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरू,कर्नाटक
(ii) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, महाराष्ट्र
(iii) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली
निजी क्षेत्र – (i) जियो इंस्टीट्यूट (रिलायंस फाउंडेशन) पुणे, ग्रीन फील्ड श्रेणी के तहत
(ii) बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज, पिलानी, राजस्थान
(iii) मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, मणिपाल, कर्नाटक
मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है
बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक निर्णय है। जावेड़कर ने कहा कि यह श्रेणीबद्ध स्वायत्तता से भी काफी आगे है। उन्होंने यह भी कहा कि इससे चयनित संस्थानों को पूर्ण स्वायत्तता सुनिश्चित होगी।और उन्हें काफी तेजी से विकसित होने में मदद मिलेगी।
संस्थानों को और अधिक कौशल एवं गुणवत्ता में सुधार के साथ अपने परिचालन स्तर को बढ़ाने के अवसर प्राप्त होंगे
मंत्री ने कहा कि इन संस्थानों को और अधिक कौशल एवं गुणवत्ता में सुधार के साथ अपने परिचालन स्तर को बढ़ाने के लिए और अधिक अवसर प्राप्त होंगे।जिससे कि वे शिक्षा के क्षेत्र में ‘विश्वस्तरीय संस्थान’ बन सकें।
सार्वजनिक संस्थान’ को पांच वर्षों की अवधि में 1000 करोड़ की सहायता दी जाएगी
मालूम हो कि उक्त योजना के तहत ‘उत्कृष्ट संस्थान’ के रूप में चयनित प्रत्येक ‘सार्वजनिक संस्थान’ को पांच वर्षों की अवधि में 1000 करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता देने का प्रावधान है।