किसान ने कर्ज माफ न होने क चलते की खुदकुशी या किसी राज्य में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर किया प्रदर्शन। इस तरह की हेडलाईन अखबारों में आम होने लगी है। सरकार कोई भी हो लेकिन किसानों को अपने हक के लिए इसी तरह सरकार का ध्यान अपनी ओर करना पड़ता है। जब तक कोई किसान आत्म हत्या नहीं कर लेता या किसानों का जत्था अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर नहीं उतरता तब तक उन्हें नज़रअंदाज़ किया जाता है। बीजेपी चुनाव बड़े-बड़े दावों के साथ सत्ता में आई थी, इन बड़े दावों में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा काफी अहम था। लेकिन सरकार को शासन में 4 साल हो चुके हैं फिर भी किसानों की मांगों को अभी तक नज़र अंदाज़ किया जा रहा है।
दिल्ली के रामलीला मैदान से देशभर में भ्रषाटाचार विरोधी आंदोलन का बिगुल फूंकने वाले अन्ना हजारे कल यानि कि शुक्रवार को एख फिर से इसी जगह से अपने अनशन पर बैठेंगे। इश बार अन्ना देश के किसानों की दयनीय स्थिति को लेकर अनशन पर बैठेंगे। अनशन को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियां की गई हैं। आंदोलन में अन्ना के पुराने साथी योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, शांति भूषण और कुमार विश्वास भी इस आंदोलन में साथ दे सकते हैं। पिछले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर धरना दिया था। और महाराष्ट्र के किसान अपनी मांगों की फरियाद लेकर 250 किलोमीटर तक नंगे पैर पैदल चलकर मुंबई पहुंचे। किसान देश का एक ऐसा वर्ग है जो हमारे खाने के लिए अन्न बौता है। लेकिन अगर गौर करें तो इसी वर्ग के ज्यादातर लोगों को अपनी मांगों के लिए सबसे ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है।
पिछले साल उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानों के कर्ज माफी का वादा किया था। इतना ही नहीं उन्होंने सरकार बनने के बाद पहली बैठक में ही किसानों के कर्जमाफी का वादा पूरा करने की घोषणा की थी। राज्य की योगी सरकार ने अपना वादा निभाते हुए सत्ता में आने के 16 दिन बाद ही 30729 करोड़ रिपए तक का कर्ज माफ किया। इसके साथ ही 7 लाख किसानों पर 5630 करोड़ रुपए का एनपीए भी चुकाया। लेकिन उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य राज्यों में किसानों को कर्ज माफी के लिए धरने पर बैठना पड़ा। चाहे राजस्थान हो, मध्यप्रदेश हो, तमिलनाडु हो या महाराष्ट्र, सभी को अपनी मांगों के लिए सराकर ध्यान अपनी और आकर्षित करना पड़ता है।
महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने हजारों प्रदर्शनकारिय किसानों की मांग पूरा करने के लिए 1.5 लाख तक कर्ज माफ की घोषणा कर दी है। सरकार ने वादा किया है कि 30 जून 2017 तक के कर्ज माफ कर दिए जाएंगे, इससे पहले कर्ज माफी की तारीख 30 जून, 2016 तक थी। 2014 में नई सरकार से किसानों को भी नई उम्मीदें थीं लेकिन नई सरकार के आने से भी कुछ नहीं बदला उनके लिए स्थिति अभी जस की तस है। उम्मीद करते हैं कि पहसे की तरह इश बार भी अन्ना हजारे के इस अनशन का कोई सकारात्मक असर दिखाई दे।