नई दिल्ली। आज अरुण गोविल अपना 60वां जन्मदिन मना रहें हैं।अरुण गोविल को टीवी पर पहचान मिली रामानंद की रामायण से।इस शो में उन्होंने श्रीराम का किरदार निभाया था।एक ऐसा किरदार जिसे देखकर लोग आज भी अरुण गोविल को भगवान राम ही मानते हैं।आईये जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से-
अरुण गोविल की शिक्षा उत्तर प्रदेश में हुई।उनके पिता की चाहत थी की अरुण यहीं से पढ़ाई कर नौकरी कर, लेकिन उन्होंने कुछ अलग ही सोच रखा था।महज 17 वर्ष की उम्र में अरुण मुंबई चले गए और वहां उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया। व्यवसाय के साथ ही उन्हें एक्टिंग के लिए भी ऑफर मिलने लगे। वर्ष 1977 में तारा बड़जात्या की फिल्म ‘पहेली’ में एक्टिंग करने का अरुण को ऑफर मिला और यह उनकी पहली फिल्म थी।
अरुण को जब रामायण में राम का ऑफर मिला उससे पहले वो सावन को आने दो, सांच को आंच नहीं, इतनी सी बात, दिलवाला, लव-कुश जैसी फिल्में मिल चुकी थी जिसमें लोगों ने उनका टैलेंट पहचान लिया था।रामायण से पहले भी धारावाहिक ‘विक्रम और बेताल’ में राजा विक्रमादित्य के रूप में भी लोगों ने उन्हें बहुत पसंद किया।
जब उन्हें रामायण में राम का रोल करने का मौका मिला तो इस किरदार को उन्होंने पर्दे पर ऐसे जिया कि अमर हो गए।उनके बाद कितने ही राम बने, लेकिन राम का नाम लेने पर सिर्फ अरुण गोविल ही याद आते हैं।हालांकि इस रोल के बाद अरुण गोविल को बड़ा खामियाजा भुगतना बड़ा।उन्हें राम मान लिया गया और दर्शकों ने उन्हें निगेटिव या रोमांटिक किरदार में देखना पसंद नहीं किया।उन्होंने इस छवि को बहुत तोड़ने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए।अब उन्होंने अपना प्रोडक्शन हाउस खोल लिया है।