Bihar Election 2020: बिहार चुनावों में इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जमकर उलंघन किया गया हैं. दरअसल इस बार बड़ी संख्या में दागी उमीदवारो को टिकट दिया गया हैं. इस बार बिहार में 32 फीसदी उम्मीदवार ऐसे हैं जिन पर अपराधिक मामलें दर्ज हैं. बता दें कि यह आंकड़ा 2015 के चुनाव से भी अधिक हैं.
25 फीसदी जघन्य अपराधों वाले उमीदवार
इसमें हत्या, बलात्कार और अपहरण जैसे जघन्य अपराधों के मामले 25 फीसदी उमीदवारों के खिलाफ दर्ज है. बता दें कि जेल में बंद बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की पत्नी लवली आनंद और उनके बेटे चेतन आनंद, दोनों ही इस बार चुनाव मैदान में हैं. हालांकि इन चुनावों में बड़ी संख्या में ऐसे उम्मीदवार हैं, जिनके खिलाफ सीधे मामलें दर्ज हैं.
बिहार चुनाव में बाहुबलियों का बोलबाला
एडीआर और इलेक्शन वॉच की तरफ से जारी ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बिहार चुनाव में बाहुबलियों का बोलबाला है. साल 2020 के चुनावों में 3722 उम्मीदवारों में से 1201 (32%) उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए है. बता दें कि 2015 के चुनाव में आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों की संख्या 30 प्रतिशत थी. हत्या, अपहरण और बलात्कार जैसे जघन्य आपराधिक मामलों के आरोपी उम्मीदवारों की संख्या 2015 में 23 प्रतिशत थी, जो 2020 में बढ़कर 25 प्रतिशत हो गई हैं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उडी धज्जिया
आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की संख्या में ऐसे समय पर बढ़ोतरी दर्ज हुई हैं जब सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोकने के लिए पहल की. सर्वोच्च न्यायालय ने 13 फरवरी 2020 को सभी राजनीतिक पार्टियों को आदेश दिया था कि वह चुनाव में अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी और उन्हें क्यों चुना गया, इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर, स्थानीय अखबारों और सोशल मीडिया में सार्वजनिक करें. लेकिन बिहार चुनावों में इस आदेश का कोई असर नहीं हुआ.