नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कश्मीर मुद्दे को लेकर बड़ा बयान दिया है। भागवत ने कश्मीर और लद्दाख के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि लोगों को बांटने की कोशिश करने वाली ताकतों से निपटने के लिए शक्ति और युक्ति की जरुरत है। उन्होंने कहा कि परेशानी पैदा करने वालों को ताकत की ही भाषा समझ में आती है। आरएसएस प्रमुख ने नागपुर में जम्मू-कश्मीर स्टडी सेंटर द्वारा आयोजित सप्त-सिंधु कश्मीर लद्दाख महोत्सव के उद्घाटन के मौके पर बोलते हुए कहा कि सत्य की जीत को सुनिश्चित करने के लिए शक्ति और युक्ति की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सेना ने अपने प्रयासों,बलिदानों एवं समर्पण के साथ शक्ति बना रखी है। भागवत ने कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप एक राष्ट्र है और इसका डीएनए एक ही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर की समस्या को नहीं देखा जाना चाहिए। असल समस्या की जड़ तो ये है कि हम अपनी एकता को भूल चुके हैं और साथ ही ये भी याद रखना जरूरी है कि पूरा भारत एक है।
कुछ दिन पहले ही भागवत ने कहा था कि देश की लिए लड़ना पड़े, तो आरएसएस कुछ दिनों में ही सेना बनाने की क्षमता रखती है। 11 फरवरी को बिहार के मुजफ्फरनगर जिले में आरएसएस के एक कार्यक्रम में मोहन भागवत कह चुके हैं कि अगर जरूरत पड़ी, तो संगठन दुश्मनों से सीमा पर लड़ने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ सैन्य संगठन नहीं है, लेकिन हमारे पास सेना जैसा अनुशासन है। देश का संविधान इजाजत देता है, तो आएसएस सीमा पर दुश्मनों के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है।