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सिंगापुर में डाटा सेंटर बनाने पर लगाई रोक, भारत का रूख कर रही विदेशी कंपनियां

singapur सिंगापुर में डाटा सेंटर बनाने पर लगाई रोक, भारत का रूख कर रही विदेशी कंपनियां

सिंगापुर में बिजली की बचत करने के लिए एक अहम फैसला लिया गया है। सिंगापुर ने बिजली की खपत और पर्यावरण के नुकसान को रोकने के लिए डाटा सेंटर बनाने पर रोक लगा दी है। जिसकी वजह से विदेशी कंपनियां अब डाटा सेंटर खोलने के लिए भारत का रूख कर रही है। जिसके चलते नोएडा को डाटा हब बनाने पर विचार किया जा रहा है।

singapur 3 सिंगापुर में डाटा सेंटर बनाने पर लगाई रोक, भारत का रूख कर रही विदेशी कंपनियां

बता दें कि जब डाटा सेंटरों की बात की जाती है तो सिंगापुर का नाम सबसे पहले आता है। इस देश के 60 फीसदी के ज्यादा डाटा सेंटर इस छोटे से द्वीप में स्थित है। जिसके कई कारण है। लेकिन सिंगापुर के फैसले से अब विदेशी कंपनियां भारत की तरफ रूख कर रही है। बता दें कि भारत में डाटा सेंटर खोलने के लिए विदेशी कंपनियां एलान भी कर चुकी है। इसी साल के मार्च में सिंगापुर के प्रिंसटन डिजिटल समूह ने सेंटर खोलने के लिए कहा था। 2022 में भारत में 48 मेगावॉट वाला सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा।

singapur 2 सिंगापुर में डाटा सेंटर बनाने पर लगाई रोक, भारत का रूख कर रही विदेशी कंपनियां

वहीं जुलाई में सिंगापुर के सबसे बड़े निजी संपत्ति डेवलपर कैपिटालैंड ने भारत में अपना पहला डाटा सेंटर खोलने की घोषणा की। इस पर करीब 16 करोड़ डॉलर का खर्च आएगा। माइक्रोसॉफ्ट, एनटीटी और सिंगापुर की एसटी टेलीमीडिया जैसी वैश्विक कंपनियां नोएडा में भी अपना डाटा सेंटर बना रही हैं।

सिंगापुर में डाटा सेंटर का तेजी से विस्तार हुआ है और इस समय यहां 60 डाटा सेंटर हैं। यहां पांच वर्षों में 2020 तक 768 मेगावॉट के कुल 14 डाटा सेंटर खोलने की मंजूरी दी गई है। अपने भारी सर्वर, उपकरण और कूलिंग सिस्टम की वजह से डाटा सेंटरों में बिजली की भारी खपत होती है।

सिंगापुर के व्यापार एवं उद्योग मंत्रालय (एमटीआई) के मुताबिक, 2020 में कुल बिजली खपत में सात फीसदी हिस्सेदारी डाटा सेंटरों की थी। यह पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। इसलिए पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए एमटीआई ने 2021 अंत तक नए डाटा सेंटर खोलने पर रोक लगा दी।

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