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बाबरी विध्वंसः कारसेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को 5 घंटे में गिराई थी बाबरी मस्जिद,जानें धटना क्रम

कारसेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को 5 घंटे में गिराई थी बाबरी मस्जिद,जानें धटना क्रम

बाबरी विध्वंसःआज से 26 साल पहले अयोध्या में 6 दिसंबर को कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद या विवादित ढ़ांचा को ढहा दिया था। भारी संख्या में आई भीड़ ने करीब 5 घंटे में ढांचे को पूरी तरह से तोड़ दिया था। जिसके परिणाम स्वरूप देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के।इन दंगों का शिकार कई बेगुनाहों को होना पड़ा।6 दिसंबर 1992 की सुबह तक करीब साढ़े 10 बजे लाखों की संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंच गए थे। वहां पर उस वक्त ‘जय राम’ का नारा गूंज रहा था। भीड़ आक्रोशित हो चुकी थी। विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल वहां उपस्थित थे। कुछ ही देर में बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी भी जुड़ गए। बाद में वहां लालकृष्ण आडवाणी भी पहुंच गए थे।

 

 कारसेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को 5 घंटे में गिराई थी बाबरी मस्जिद,जानें धटना क्रम
कारसेवकों ने 6 दिसंबर 1992 को 5 घंटे में गिराई थी बाबरी मस्जिद,जानें धटना क्रम

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गौरतलब है कि लालकृष्ण आडवाणी की राममंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका है। इसी मुद्दे को लेकर सन 1989 के लोकसभा चुनाव में 9 साल की बीजेपी ने 2 सीटों से बढ़कर 85 सीटें तक हासिल की हैं। बीजेपी की उन्नति में मंदिर मुद्दे की गरमाहट ने खासा योगदान दिया। अगर यह भी कहा जाए कि बीजेपी आज सत्ता में है तो राममंदिर के मुद्दे की बदौलत है तो ये बात बिल्कुल भी गलत नहीं होगी। मालूम हो कि इससे पहले आडवाणी सितंबर 1990 में सोमनाथ से रथ लेकर मंदिर के लिए जनजागरण करने के लिए निकले थे। गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अयोध्या में ही थे।

उमा भारती ने खुद भी यह बात कही है कि मैं 5 दिन पहले से ही अयोध्या में मौजूद थी। उमा ने कहा कि मैं 1 दिसंबर को अयोध्या पहुंच गई थी और 7 दिसंबर की सुबह तक मैं वहां रही। उमा भारती ने कहा जो कुछ हुआ था खुल्लम खुल्ला हुआ था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 5 दिसंबर की दोपहर एक निर्णायक मोड़ देखने को मिला। जो वह वक्त था जब ऐलान किया गया कि सांकेतिक कारसेवा होगी।अयोध्या दबे हुए गुस्से और हताशा से उबलने लगी थी। सैकड़ों कारसेवकों ने मणिराम छावनी में धावा बोल दिया। वहां दो धार्मिक नेताओं महंत रामचंद्र परमहंस और महंत नृत्यगोपाल दास को गुस्से से खौलते सवालों की बौछारों का निशाना बनाया।

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6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में भारी सुरक्षा के बीच बीजेपी नेताओं की अगुवाई में भीड़ बाबरी मस्जिद की और बढ़ रही थी। इसी बीच पहली बार कोशिश में पुलिस इन्हें रोकने में कामयाब रही। इसके बाद दोपहर में 12 बजे के लगभग कारसेवकों का एक बड़ा हुजूम मस्जिद की दीवार पर चढ़ा। देखते ही देखते लाखों की भीड़ में कारसेवक मस्जिद पर टूट पड़े। कुछ ही देर बाद मस्जिद को अपनी गिरफ्त में कर लिया।पुलिस के अधिकारी मामले की गंभीरता को समझ रहे थे इसके बावजूद मस्जिद के आसपास मौजूद कारसेवकों को रोकने की हिम्मत कोई भी नहीं कर सका।

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दोपहर तीन चालीस बजे पहला गुंबद भीड़ ने तोड़ डाला। बाद में 4 बजकर 55 मिनट पर पूरा विवादित ढांचा नेस्तनाबूद कर दिया। इसके बाद भीड़ ने उसी जगह पूजा अर्चना की और राम शिला की स्थापना भी कर दी। आपको बता दें कि इस घटना को अंजाम देने के लिए अयोध्या में 20 नवंबर से ही कारसेवक एकत्रित होने लगे थे।जिससे केंद्र की नरसिम्हा राव की सरकार यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने का विचार कर रही थी। लेकिन मस्जिद की सुरक्षा को लेकर मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके गांरटी दी कि बाबरी मस्जिद की हर हाल में सुरक्षा की जाएगी।मालूम हो कि सन 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण किया गया था।

महेश कुमार यादव

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