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यूपी के शिक्षामित्रों का दर्द: उपवास रखा, भगवान को याद किया फिर पीएम-सीएम से पूछा-क्या हुआ तेरा वादा

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उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्र योगी सरकार की वादाखिलाफी से नाराज हैं। चुनावी घोषणापत्र में सरकार ने जिस समस्या को 100 दिन में दूर करने का वादा किया था, वह चार साल गुजरने के बाद भी जस की तस है।

सरकार से नाराज शिक्षामित्र आज अपने-अपने घरों पर धरने पर बैठे हैं। उपवास रखने के बाद शिक्षामित्रों ने कोविड के कारण काल के गाल में समाए अपने साथियों को श्रृद्वांजलि दी। सबने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उनका वादा याद दिलाया।

गरीबी, तंगहाली और मानसिक तनाव। यूपी के 1.58 लाख शिक्षामित्रों में से ज्यादातर इसके शिकार हैं। सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षामित्रों को सरकार से आस थी। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में शिक्षामित्रों की दिक्कतें दूर करने का वादा भी किया था, मगर ऐसा किया नहीं।

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सरकार से लंबे समय से दिक्कतें दूर करने की मांग कर रहे शिक्षामित्रों ने सोमवार को उपवास रखने के बाद अपने घरों में धरना दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजकर उनका वादा याद दिलाया और पूरा करने की अपील की।

मानसिक अवसाद में 2000 शिक्षामित्रों ने गंवाई जान

शिक्षक नेता अनिल कुमार यादव, संदीप दत्त और धर्मेन्द्र कुमार ने बताया कि अब तक 2000 से अधिक शिक्षामित्रों की मानसिक अवसाद के चलते मौत हो चुकी है। समायोजन निरस्त होने के बाद शिक्षामित्र बुरी तरह आर्थिक संकटों में घिर गए थे। शिक्षामित्रों की मौत के बाद उनक परिवार बुरी हालत में हैं।

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200 से अधिक शिक्षामित्रों की चुनाव ड्यूटी में हुई मौत

शिक्षक नेताओं ने बताया कि पंचायत चुनाव के दौरान तमाम शिक्षामित्र कोरोना संक्रमित हुए। इनमें से 200 से अधिक की मौत हो गई। सरकार को सभी पीड़ित परिवारों को मुआवजा देना चाहिए।

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याद दिलाया-रघुकुल रीत सदा चली आई फिर पूछा-क्या हुआ तेरा वादा

शिक्षामित्रों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनका वादा याद दिलाते हुए रामचरितमानस की चौपाई लिखी-रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर वचन न जाई। अपील की कि सरकार उनकी बात सुने। बहुत से शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से पूछा-क्या हुआ तेरा वादा।

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शिक्षामित्रों ने यह चिट्ठी भेजी है मुख्यमंत्री को
माननीय मुख्यमंत्री जी
महोदय,
आपको अवगत कराना है कि पिछले 21 वर्षों से उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षण कार्य कर रहे लगभग एक लाख 58 हजार शिक्षामित्र अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। 2,000 से अधिक शिक्षामित्र मानसिक अवसाद के चलते अपनी जीवन लीला समाप्त कर चुके हैं। पंचायत चुनाव के दौरान कोविड-19 होने के कारण 200 से अधिक शिक्षामित्र अपनी जान गंवा चुके हैं।

महोदय, आपसे शिक्षामित्रों का दुख और पीड़ा छुपी नहीं है। पूर्व से ही आपकी संवेदना शिक्षा मित्रों के साथ है। पूरे प्रदेश के सभी 1.58  लाख शिक्षामित्र और उनका परिवार आशा भरी निगाहों से आप की तरफ देख रहे हैं। आपके द्वारा विधानसभा चुनाव 2017 में पार्टी के संकल्प पत्रों में शिक्षामित्रों से यह वादा भी किया गया था कि सरकार बनने के 100 दिन के अंदर शिक्षामित्रों की समस्याओं का न्यायोचित तरीके से निराकरण कर दिया जाएगा। मगर 4 साल बीतने के बाद भी सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए कुछ नहीं किया है। आज सोमवार को पूरे प्रदेश के शिक्षा मित्र उपवास पर हैं, और आप से यह मांग करते हैं-

– केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई शिक्षा नीति को पूरे प्रदेश में लागू किया जाए और शिक्षामित्रों की नई नियमावली बनाकर उन्हें वेतन और दूसरे लाभ उसी तरह दिए जाएं जैसे शिक्षकों को दिए जा रहे हैं।
-प्रदेश के सभी शिक्षामित्रों को ₹35000 हर महीने वेतन और 62 वर्ष तक सेवा में रहने का मौका दिया जाए।

-उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा के नेतृत्व में बनी कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए लागू किया जाए।
-पंचायत चुनाव के दौरान अपनी जान गवाने वाले 200 से अधिक शिक्षामित्रों के आश्रितों को सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपए की अनुग्रह राशि दी जाए। जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके।

-25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट से समायोजन निरस्त होने के बाद अब तक अवसाद के कारण जन शिक्षा मित्रों उनके आश्रितों को सरकारी नौकरी दी जाए।

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हमने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को उनका वादा याद दिलाया है। साथ ही शिक्षामित्रों की सभी समस्याएं दूर करने की मांग की है। आज सभी शिक्षामित्र और उनके परिवार के तमाम लोग उपवास पर हैं और अपने-अपने घरों में धरने पर बैठे हैं।
–अनिल कुमार यादव, प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ

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