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हल्द्वानी में बना एक और शाहीन बाग सीएए के विरोध में महिलाओं ने ताज चौराहे पर शिफ्त किया धरना

हल्द्वानी हल्द्वानी में बना एक और शाहीन बाग सीएए के विरोध में महिलाओं ने ताज चौराहे पर शिफ्त किया धरना

देहरादून। सीएए और एनआरसी के खिलाफ दूसरी रात भी महिलाओं ने ताज चौराहे से मोदी सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। जिला प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देते हुए स्थानीय नेताओं के जरिये धरना समाप्त कराने का प्रयास किया, लेकिन महिलाएं हटने के लिए तैयार नहीं हुई। धारा 144 लगने के बाद शुक्रवार की सुबह यहां महिलाएं बेहद कम संख्या में मौजूद नजर आईं। अब धरने को आठ नंबर स्थित मुसाफिर खाने में शिफ्ट करवा दिया गया। इस दौरान महिलाओं ने खासा आक्रोश व्यक्त किया।

मुख्यमंत्री के बयान के बाद अगर महिलाएं नहीं उठी तो पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को जबरन उठाया जा सकता है। वहीं बृहस्पतिवार को नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश के मंच पर आते ही आंदोलनरत महिलाओं का हौसला बुलंद हो गया। उन्होंने कहा कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ उनकी पार्टी के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं। कोर्ट ने चार सप्ताह में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ऐसा कानून बनाया ही क्यों कि उनको तीन करोड़ लोगों को समझाने के लिए घर-घर जाना पड़ रहा है। इस कानून से किसी को डरने की जरूरत नहीं है।

प्रशासन को भी उन्होंने परेशानी नहीं पैदा करने के लिए आगाह किया। नेता प्रतिपक्ष के साथ कांग्रेस नेता सुहेल सिद्दीकी, इकबाल भारती, संध्या डालाकोटी, गोविंद बिष्ट एडवोकेट, सुमित्रा प्रसाद, पार्षद मोहम्मद गुफरान और यूसूफ एडवोकेट मौजूद थे। इससे पहले बृहस्पतिवार की सुबह करीब 11 बजे से धरनास्थल पर महिलाओं का जमावड़ा शुरू हो गया। रात को भी महिलाएं रजाई कंबल लिए धरने पर बैठीं रहीं। दिल्ली के शाहीन बाग की तरह ताज चौराहे पर महिलाओं का आंदोलन पूरे जज्बे के साथ जारी रहा।

महिलाओं ने सीएए कानून को वापस लेने और आधी आबादी की बात सुनने के लिए केंद्र सरकार को चेताया। इस मौके पर  प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी ने कहा कि देश में चल रही आर्थिक गिरावट से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार ने सीएए और एनआरसी का मुद्दा छेड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि  नोटबंदी के बाद देश में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई है। महंगाई के चलते आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। उद्योग धंधे बंद होते जा रहे हैं।

एकता केंद्र की नीता ने कहा कि लोग व्यवस्था के बदलाव के मूड में आ गए हैं। बिंदु गुप्ता ने कहा कि  मोदी सरकार ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि मुस्लिम महिलाओं को अपने बच्चों को लेकर धरने पर बैठना पड़ गया है। क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के डा. उमेश चंदोला ने कविताएं सुना कर लोगों को सरकार की वास्तविकता से अवगत कराया।  पूर्व पार्षद शाहजहां बेगम ने कहा कि तानाशाही का दौर खत्म हो चुका है। जनता अपने हकों के लिए सचेत हो चुकी है। इस मौके पर कहकशां शमा, आसिफ मुसर्रत, इशरत, आशा, मुन्नी, अमीर जहां सहित अन्य काफी संख्या में महिलाएं धरने पर मौजूद रहीं। 

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