चंडीगढ़. पंजाब में पानी के संकट को लेकर सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय मीटिंग में एसवाईएल का मुद्दा छाया रहा। मीटिंग में शामिल राजनीतिक दलों ने साफ कहा कि अगर एसवाईएल नहर बनी तो यह पंजाब के लिए घातक सिद्ध होगी, इस पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पहले हालात कुछ और थे। अब पंजाब के पास ही पानी नहीं है तो ऐसे में किसी दूसरे राज्य को कैसे पानी दिया जा सकता है। पंजाब किसी भी सूरत में हरियाणा को पानी देने के हक में नहीं है।
बता दें कि पानी के मुद्दे को लेकर हुई इस मीटिंग में संकल्प प्रस्ताव पास किया गया कि पहले ट्रिब्यूनल पंजाब के दरियाओं के पानी की मात्रा चेक करे, फिर पानी का बंटवारा हो। मीटिंग के प्रस्ताव में कहा गया कि पंजाब के पास फ़ालतू पानी नहीं है और भूजल का स्तर तेज़ी से घटने के कारण और दरियायी पानी की कमी के कारण पंजाब के मरूस्थल बनने की संभावना है। पंजाब में भूजल जो राज्य की 73 प्रतिशत सिंचाई ज़रूरतों को पूरा करता है, जो अब बहुत नीचे जा चुका है।
भारत सरकार द्वारा यह तय किया जाए कि पंजाब के दरियायी पानी को तीन दरियाओं (रावी, सतलुज और ब्यास) के बेसिन से नॉन-बेसिन इलाकों में दुनिया भर में अपनाए गए तटीय सिद्धांत (राईपेरियन प्रिंसिपल) के मुताबिक किसी भी सूरत में स्थानांतरित न किया जाए। सीएम ने कहा ईराडी कमीशन के मुताबिक पंजाब की नदियों में पानी 17 एमएएफ से घटकर 13 एमएएफ रह गया है। केंद्र से मांग की है कि पंजाब की 3 नदियों में पानी का मौजूदा स्तर पता करने के लिए नया कमीशन स्थापित हो। मौजूदा स्थितियों को देखते यह बहुत जरूरी है।