निर्मल उप्रेती , संवाददाता
हौंसले बुलंद हो तो राह भी बन जाती है। अल्मोड़ा के मनीआगर में रहने वाली नेहा आगरी जो बचपन से देख नहीं सकती पर अपने सुरों से लोगों के दिलों तक पहुंच रही है।
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नेहा को बचपन से ही गीतों का शौक था। नेहा को मंच देने का काम स्कूल की टीचर ने किया। टीचर ने नेहा को हौंसला बढ़ाया और नेहा ने कई मंचो पर गाना गाकर अपने गीतों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।
कोरोना के चलते पिछले 2 सालों से नेहा घर पर ही गीतों को सीख रही है। जिसमें कुमाऊनी, गढ़वाली और भजनों को सीख रही है। नेहा को उनकी मां और भाई मदद कर रहे है। भाई ने नेहा के लिए हुड़का बनाया है। नेहा गाने गाती है तो सचिन हुड़का बजाकर नेहा का साथ देता है।
नेहा ने बताया की उनकी मदद के लिए तो काफी लोग आगे आए हैं। लेकिन वह ऐसा कुछ करना चाहती है जिससे वह अल्मोड़ा और उत्तराखंड का नाम रोशन कर सके और उत्तराखंड की लोक परम्परा की गायन प्रतिभा आगे बढ़ सके।