नई दिल्ली। सभी देशवासियों ने दशहरा के पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया। इस पर्व को लेकर सभी में खुशी का माहौल था। इसी बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल शनिवार को ऋषिकेश में मौजूद परमार्थ निकेतन के एक कार्यक्रम में पहुंचे। जहां उन्होंने इशारों में ही दुश्मनों पर जमकर निशाना साधा। दशहरा के मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और आरएसएस संघसंचालक मोहन भागवत ने भी चीन पर जमकर निशाना साधा। इसे देख ऐसा लगता है कि मानों जैसे भारत अब युद्ध की पूरी तैयारी में हो। लगातार सीमाओं पर दुश्मनों के साथ सेना के जवानों की तनातनी चलती रहती है।
बता दें कि भारत और चीन के बीच लगभग छः महीने से तनाव चल रहा है। दोनों देशों की सेनाएं कभी भी आमने-सामने हो जाती हैं। दोनों देशों में समाधान के लिए 7 दौर की बैठक हो चुकी है और आठवीं बैठक की तैयारियां चल रही है। एलएसी पर तनाव के बीच शनिवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने दुश्मनों को युद्ध का मंत्र दिया है। ऋषिकेश के एक कार्यक्रम में डोभाल ने कहा कि ”हम वहीं लड़ेंगे जहां पर आपकी इच्छा है, यह कोई जरूरी तो नहीं। हम वहीं लड़ेंगे जहां से हमें खतार आ रहा है। हम उस खतरे का मुकाबला वहीं करेंगे। यह एक बात है लेकिन हमने अपने स्वार्थ के लिए नहीं किया। हम युद्ध तो करेंगे, अपनी जमीन पर भी करेंगे और बाहर भी करेंगे। लेकिन अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं परमार्थ के लिए करना पड़ेगा।” सरकार का कहना है कि डोभाल का बयान चीन के लिए नहीं था। अजित डोभाल ने शनिवार को जो तेवर तय किए अगले दिन दो और बड़े दिग्गज उसी लाइन पर बोलते नजर आए। चीन की चौखट पर पहुंचकर राजनाथ सिंह ने भी ड्रैगन के लिए देश के इरादों का इजहार कर दिया। बीजेपी की विचारक संस्था आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने भी विस्तारवाद के लिए चीन को घेरा। दशहरा पूजा के बाद भागवत ने कहा,अपने सामरिक बल के अभिमान में हमारी सीमाओं का जो अतिक्रमण किया और जिस प्रकार का व्यवहार किया और ऐसा व्यवहार सिर्फ हमारे साथ नहीं बल्कि सारी दुनिया के साथ किया। यह बात तो दुनिया को पता है। उसका स्वभाव विस्तारवादी है लेकिन इस बार भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, उससे उसे धक्का जरूरी लगा है।
इसी के साथ-साथ दशहरे के मौके पर रक्षा मंत्री ने दार्जिलिंग के सुकना में 33वीं कोर के मुख्यालय में जवानों के साथ शस्त्र पूजा की। इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा, ”भारत और चीन की सीमा पर जो तनाव चल रहा है. भारत तो यह चाहता है कि यह तनाव समाप्त हो, शांत स्थापित हो, हमारा उद्देश्य यही है। लेकिन कभी कभी ऐसी नापाक हरकतें होती रहती हैं। मैं पूरी तरह आश्वस्त हूं और साथ पूरा विश्वास है कि हमारी सेना के जवान अपने देश की एक इंच की जमीन भी दूसरे के हाथ में नहीं जाने देंगे। ”