इस्लामाबाद। पाकिस्तान में समाजसेवी और ईदी फाउंडेशन के संस्थापक अब्दुल सत्तार ईदी का कराची के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 88 वर्ष के थे। पाकिस्तान में भारत की मूक-बधिर लड़की गीता ईदी फाउंडेशन में ही पिछले लगभग एक दशक से रह रही थी।
ईदी का कराची के सिंध इस्टीट्यूट ऑफ यूरोलॉजी एंड ट्रांसप्लांटेशन में किडनी की बीमारी से शुक्रवार रात निधन हो गया। उन्हें उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या भी थी।
उनका अंतिम संस्कार शनिवार को नेशनल स्टेडियम में किया गया। ईदी के जनाजे में राष्ट्रपति ममनून हुसैन, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ जनरल राहील शरीफ, पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ सहित शीर्ष सैन्य अधिकारी और नेताओं ने हिस्सा लिया।
ईदी को अंतिम विदाई देने से पूर्व गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। गौरतलब है कि शनिवार शाम लंदन से लौट रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ईदी के सम्मान में एक दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया। ईदी को पाकिस्तान के मदर टेरेसा के नाम से भी जाना जाता है।
शरीफ ने कहा, “हमने मानवता के बड़े पुजारी को खो दिया है। वह प्यार के वास्तविक आदर्श थे। उन्होंने गरीबों, असहाय लोगों की काफी मदद की। यह क्षति पाकिस्तान के लिए अपूरणीय है।”
ईदी के बेटे फैसल ने कहा कि उनका भाई और ईदी का दूसरा बेटा कुतुब मीर विदेश में होने की वजह से जनाजे में नहीं आ सका। ईदी ने अपने अंगों को दान किया है, लेकिन लगातार इलाज की वजह से सिर्फ उनकी कॉर्निया ही दान दी जा सकेगी।
जैसे ही ईदी के निधन की खबर आई, सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया। उनका जन्म व्यापारियों के परिवार में एक जनवरी 1924 को हुआ था।
ईदी एक फाउंडेशन के अध्यक्ष थे, जो हजारों जरूरतमंद लोगों और बच्चों की सहायता करता है। उन्हें सामाजिक कार्यो के लिए कई राष्ट्रीय सम्मान भी मिल चुके हैं। ईदी फाउंडेशन पाकिस्तान के सबसे बड़े सार्वजनिक कल्याण संगठनों में से एक है। ईदी कई बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित हो चुके हैं। इस साल भी उन्हें नोबेल के लिए नामांकित किया गया था।
(आईएएनएस)