नई दिल्ली। भारत में सन 1857 की क्रांति को देश के लिए बहुत ही अहम माना जाता है। क्योंकि ये क्रांति का देश की आजादी में भी अहम रोल रहा है। इस क्रांति को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सिपाही विद्रोह और भारतीय विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। देश की आजादी से पहले ये विद्रोह दो साल तक कई जगाहों पर चला। इस विरोध का आगाज छावनी क्षत्रों के गांवों से किया गया था जहां झोपड़ियों को आग के हवाले करके किया गया था। लेकिन जनवरी महीने से इस विद्रोह ने एक बड़ी क्रांति का रूप ले लिया। इस विद्रोह का अंत भारत में इस्ट इंडिया कंपनी के अंत के साथ हुआ और इसके बाद भारत पर ब्रितानी ताज का प्रारम्भ हो गया। जो 90 सालों तक चला।
1857 की क्रांति का इतिहास
भारत में 1857 की क्रांति की अहम वजह विभिन्न राजनैतिक, आर्थिक, धार्मिक, सैनिक तथा सामाजिक बताई जाती है। 1857 की क्रांति को लेकर कुछ इतिहासकारों का कहना है कि उस समय लोगों को लगता था कि अंग्रेस जबरन हमें ईसाई बनाना चाहते हैं और किसी हद तक ये सही भी था। क्योंकि कुछ कंपनियां उस वक्त आधिकारिक धर्म परिवर्तन कराने में जुटी हुई थी। इससे पहले 16वीं सदी में ये धर्म परिवर्तन करने का चलन भारत से जापान तक पुर्तगालियों के पतन का एक कारण ये भी था कि अंग्रेजों ने जनता पर जबरदस्ती ईसाई धर्म में बदलने की कोशिश की थी। इक क्रांति के अंदर लॉर्ड डलहौजी ने राज्य हड़पने की नीति में अनेक राज्यों के अपने साथ मिला लिया। जिसमें झांसी, सतारा नागपुर शामिल थे। नागपुर के शाही घराने के आभीषणों की बोली ने इस क्रांति को और हवा दे दी। आभूषणों की इस बोली को शाही घराने के अनादर के रूप में देखा गया।
1857 में ही हिंदूओं और मुसलमानो के उस वक्त माने जाने वाले रिवाज को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। जिनको अंग्रेस असमाजिक मानते थे। इसमें सति प्रथा पर रोक लगाना शामिल था। इसमें खास बात ये है कि इस प्रथा को बहुत पहले बंद कर दिया गया था। लेकिन उसके बाद भी उस वक्त के समाज सुधारक राजानाम मोहन राय इस प्रथा को बंद करने का के पक्ष में प्रचार कर रहे थे। इस कानून से समाज में गुस्सा कायम हो गया। अंग्रेजों ने बाल विवाद पर रोक लगाने के साथ-साथ कन्या भ्रुण हत्या को भी खत्म कर दिया।
क्रांति को लेकर फैली अफवाहें
इस क्रांति को लेकर कई तरह की अफवाहें भी फैलाई गई। उस वक्त जे सबसे तेज अफवाह फैली हुई थी वो थी वो ये थी कि कंपनी का राज्य सन 1857 में प्लासी का युद्ध से शुरू हुआ था। इसके साथ ही ये युद्ध 1857 में 100 सालों के बाद खत्म हो जाएगा। चपातियां और कमल के फूल विभिन्न हिसों में बांटे जाने लगे। ये सारे लक्ष्ण आने वाले विद्रोह की निशानी थे।
1857 के युद्ध की शुरूआत
युद्ध के शुरू होने से कई महीने पहले इसको लेकर तनाव माहौल बनना शुरू हो गया था और इसको लेकर कई बड़ी घटनाएं घटी। इस क्रांति के चलते 24 जनवरी को कोलकाता में आगजनी की कई घटनाएं हुई जो क्रांति का आगाज थी। 26 फ़रवरी 1857 को 19वीं बंगाल नेटिव इनफ़ैन्ट्री ने नये कारतूसों को इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी। इसके बाद रेजीमेण्ट् के अफ़सरों ने तोपखाने और घुडसवार दस्ते के साथ इसका विरोध किया पर बाद में सिपाहियों की मांगों को मान लिया गया।
रानी नक़वी