नई दिल्ली। भारत खबर ने बीत माह की 23 जून को ही एक खबर दी थी जिसमें ये खुलासा किया था कि योगी आदित्यनाथ 26 जुलाई को अयोध्या दौरा कर सकते हैं। ये दौरा रामजन्मभूमि विवाद में एक अहम किरदार भी होगा। आज 26 तारीख है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अयोध्या दौरे पर जा रहेहैं ठीक 11 बजे से ये दौरा रामनगरी में शुरू होगा।
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— Bharat Khabar (@bharatkhabarweb) June 23, 2017
हमें अपनी खबर में बताया था कि सीएम योगी का रामनगरी से गहरा रिश्ता है। ये ही नाता है कि योगी अपने कार्यकाल में अपने गृह जनपद गोरखपुर के बाद केवल रामनगरी अयोध्या का दूसरी बार दौरा कर रहे हैं।
क्यूं सीएम योगी बार-बार कर रहे हैं रामनगरी का रूख
देश की सर्वोच्च अदालत में अभी इस देश का सबसे गम्भीर मुद्दा सुनवाई में पड़ा हुआ। इस मामले को लेकर 21 मार्च को कोर्ट ने एक बड़ा आदेश देते हुए कहा था कि कि दोनों पक्ष आपसी सुलह समझौते के जरिए इस मामले मे पहल करें कोर्ट मध्यस्तता करने को तैयार है। इस बाद एक बार फिर ये मामला फिर से सुलगते हुए खड़ा हो गया। जी हां हम बात कर रहे हैं रामजन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद मामले की जिसमें जुलाई से एक बार फिर कोर्ट अपनी नियमित सुनवाई शुरू करने जा रहा है।
जब मार्च में इस मामले में कोर्ट ने पहल दिखाई थी तो धर्मनगरी का सियासी पारा दिल्ली से लेकर अयोध्या तक सूब जमकर गरम हुआ था। लगातार बातचीत और चर्चाओं का दौर भी चला था। लेकिन आखिरकार सब कुछ फिर एक बार ठंडे बस्ते में चला गया। लेकिन रामनगरी में बीते दिनों सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के दौरान जब वो रामलला का दर्शन करने गये तो फिर ये मुद्दा एक बार उठ खड़ा हुआ। इस बार के विधान सभा चुनाव में भी भाजपा ने इसे अपने घोषणापत्र में जगह भी दी थी। इसके साथ ही अब भाजपा का लक्ष्य 2019 में लोकसभा के रण को जीतना है। इसी कवायद में भाजपा एक बार फिर रामजन्मभूमि और हिन्दुत्व के मुद्दे को खड़ा करना चाह रही है।
बाबा की समाधि के निर्माण से होगी रामजन्मभूमि निर्माण आंदोलन की शुरूआत
माना जा रहा है कि आज सीएम योगी के आगमन के साथ ही रामजन्मभूमि आंदोलन के प्रवर्तक बाबा रामचंद्र दास परमहंस की समाधि स्थल के निर्माण के साथ ही इस आंदोलन की फिर से शुरूआत की जायेगी। इसके लिए रामनगरी में व्यापक तैयारियां की गई हैं। सीएम योगी की ये यात्रा इसी तैयारी की रूपरेखा जांचने के लिए भी हो रही है। इसी बात की पुष्टि भारत खबर ने अपनी 23 जून की रिपोर्ट में की थी। जिसमें इस पूरी यात्रा के पीछे की इन साइड स्टोरी भी भारत खबर ने बताई थी। इसके साथ ही भारत खबर ने इस बात का जिक्र किया था कि कैसे इस यात्रा का ताना-बाना बुना जा रहा है। बीते दिनों जब सीएम योगी अयोध्या दौरे पर आये थे तो महंत सुरेश दास और योगी आदित्यनाथ के बीच इस मुद्दे पर काफी बातचीत होने की खबरें भी आई थी।
भारत खबर ने दी थी पहले थी दौरे की सूचना
इसी बीच भारत खबर के सूत्रों के हवाले से खबरें आई कि योगी की यात्रा के बाद महंत सुरेश दास और महंत धर्मदास ने योगी आदित्यनाथ से 5 कालीदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री आवास पर जाकर इस मुद्दे पर बातचीत और मुलाकात भी की है। इसके बाद योगी ने दुबारा अयोध्या आकर इस मुद्दे से जुड़े लोगों से बातचीत करने का आश्वासन भी दिया है। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ 26 जुलाई को अयोध्या आ सकते हैं। जहां में इस विवाद से जुड़े लोगों से मुलाकात कर इसके हल के बारे में बातचीत करेंगे। अब आज ये दौरा हो रहा है। भारत खबर की इस खबर पर अब खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुहर लगा दी है।
क्या है रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद
रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद आजादी के पहले ही अस्तित्व में आया था लेकिन इस दौर में इस विवाद ने उनता तूल नहीं पकड़ा था जितना आजादी के बाद सबसे पहले रामजन्मभूमि विवाद 1949 में सामने आया जब वर्तमान पक्षकार के धर्मदास के गुरू महंत अभिरामदास ने रामजन्मभूमि परिसर के भीतर मूर्ति पधराई । इसके बाद मुस्लिम पक्षकार हाजी महबूब के मरहूम पिता हाजी फेंकू समेत 7 लोगों और महंत अभिराम दास समेत अन्य के बीच एक एफआईआर दर्ज हुई थी।
इसके बाद से इन्ही के बीच मुकदमा शुरू हुआ। इसके बाद इन पक्षकारों के बीच ही सुन्नी बोर्ड और विहिप आदि अन्य पक्षकार आते रहे। लेकिन मुख्यपक्षकार के तौर पर केवल धर्मदास और हाजी महबूब ही हैं। इसके अलावा निर्मोही अखाड़ा भी इस पूरे प्रकरण में भूमि के स्वामित्व के नाते एकपक्षकार है। लेकिन विवाद को अगर देखा जाये तो हाजी महबूब और धर्मदास को ही माना जा सकता है। इन दोनों के बीच शुरू हुआ विवाद 1986 में फैजाबाद कोर्ट पर जा पहुंचा 1949 के बाद से रामजन्मभूमि परिसर में ताला लगा हुआ था। जिसे 1986 में जिला न्यायधीश ने हिंदुओं की अपील को स्वीकार करते हुए पूजापाठ के लिए खोलने का आदेश दे दिया। इसके बाद इस विवाद के लिए मुस्लिम पक्ष की तरफ से बाबरी एक्शन कमेटी का गठन किया गया था।इस पूरे विवाद में अभी को जमीन स्तर पर ही लड़ाई हो रही थी।
अजस्र पीयूष