नई दिल्ली। देश में ट्रिपल तलाक यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहस लगातार जारी है, इसी क्रम में लॉ कमीशन ऑफ इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में मुस्लिम संघटनों ने लॉ कमीशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन जस्टिस बीएस चौहान की। मुलाकात के दौरान बोर्ड की तरफ से दोनों विषयों पर कराए गए सर्वे का व्योरा पेश किया गया।
पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक, चार करोड़ से अधिक मुसलमानों से इस मामले पर फॉर्म भरवाया गया था जिसमें दो करोड़ से अधिक महिलाओं के मत भी लिए गए हैं, इस बारे में बोर्ड का कहना है कि कराए गए सर्वे में सभी ने ट्रिपल तलाक यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध किया है।आपको बता दें कि बैठक में कहा गया कि चार करोड़ से अधिक मुस्लिमों पर कराए गए सर्वे में सामने आया है कि ट्रिपल तलाक और यूनिफार्म सिविल कोड को लोगू करने के पक्ष में कोई नहीं है, इसके साथ ही लोगों का यह भी कहना है कि धार्मिक मामलों और पर्सनल लॉ से संबंधित मामलों में सरकार को दखल नहीं देना चाहिए।
बैठक के दौरन मौजूद दूसरे पक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद का कहना है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ खुदा का कानून है इसमें कोई भी कोर्ट किसी तरह का संशोधन नहीं कर सकता है। उनका मानना है कि तीन तलाक की शरीअत का कानून मानते हुए किसी भी तरह के सरकारी या कोर्ट के दखल मुखालिफत करती है।