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आखिरकार शादी के समय ही क्यों लिए जाते हैं अग्नि के 7 फेरे

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नई दिल्ली। भारत में हर चार कदम पर एक नई परंपरा का जन्म होता है। हर धर्म का अपना रिवाज और एक अलग परंपरा है। बच्चे का जन्म हो या फिर शादी सब अपने-अपने तरीके से हर शुभ मौके पर रस्में निभाते हैं। भारत में शादी वो रिश्ता है जो ना सिर्फ दो लोगों को जोड़ता है बल्कि दो परिवारों का मिलन कराता है। शादियों के रीति-रिवाजों में हिन्दुओं की बात की जाए तो शादी के समय वर-वधु द्वारा अग्नि के लिए गए 7 फेरों का अपना एक विशेष महत्व है। बिना 7 फेरे के कोई भी शादी अधूरी मानी जाती है लेकिन क्या आपने सोचा है कि शादी के समय सिर्फ 7 फेरे ही क्यों लिए जाते हैं।

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क्यों वर-वधु सिर्फ अग्नि को साक्षी मानते हैं और भी कई सवाल है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिरकार क्यों सिर्फ 7 फेरे ही लिए जाते हैं।

-कहा जाता है कि इंसान अग्नि, पृथ्वी, जल, वायु और आकाश इन 5 तत्वों से मिल कर बना है। शादी में अग्नि के चारों ओर 7 फेरे लेने का यह भी एक कारण है।

-आपने अक्सर सुना होगा कि वर-वधु का रिश्ता 7 जन्मों का होता है इसलिए अग्नि के 7 फेरे लिए जाते हैं।

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– अग्नि के फेरे लेकर पर-वधु एक-दूसरे से पवित्र रिश्ता निभाने और उम्रभर वचनबंध होने का वादा करते हैं।

-शास्त्रों में लिखा गया है कि अग्नि ही केवल एक ऐसा तत्व है जिसमें सभी देवी देवता समाहित होते हैं। इसलिए शादी के समय सभी देवी-देवताओं को साक्षी माना जाता है।

– अग्नि को हिन्दू धर्म में एक पवित्रता का प्रतीक माना गया है जो सभी अशुद्धियों का नाश करती है इसी कारण वर-वधु अग्नि के फेरे लेकर अपने-अपने मन की अशुद्धियों को खत्म करते हैं ताकि नए जीवन को शुद्धता के साथ शुरू की जा सकें।

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