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जातीय समीकरण में फंसता नजर आ रहा है ‘हाथी’

bsp 2 जातीय समीकरण में फंसता नजर आ रहा है ‘हाथी’

लखीमपुर खीरी। निघासन विधान सभा चुनाव में प्रत्याशी के भाग्य का फैसला करने वाले मुस्लिम और मौर्या बसपा से काफी नाराज दिख रहे हैं। यदि यही स्थित बनी रही तो बसपा इस विधान सभा क्षेत्र में लड़ाई से बाहर हो जाएगी। विधान सभा निघासन में तीन लाख से अधिक मतदाता हैं। इसमें सबसे अधिक दलित उसके बाद मुस्लिम तथा मौर्या निर्णायक मतदाता के रूप में जाने जाते हैं। यदि मौर्या बिरादरी की बात की जाए तो शुरू से ही उनका रूझान भाजपा की तरफ रहा हैं।

bsp 2 जातीय समीकरण में फंसता नजर आ रहा है ‘हाथी’

वर्ष 2002 में आरए कुशवाहा ने यहां पर विधान सभा का चुनाव लड़ा। उन्होंने विधान सभा क्षेत्र के करीब 32 हजार मौर्या बिरादरी का वोट बसपा में चला गया। आलम यह हुआ कि भाजपा से प्रत्याशी रहे रामकुमार वर्मा को हार का सामना करना पड़ा। उसके बाद वर्ष 2007 में हुए विधान सभा चुनाव में आरएस कुशवाहा से मौर्या बिरादरी नाराज हो गई बसपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। इसी कड़ी में 2012 में एक बार फिर मौर्या बिरादरी ने भाजपा का दामन थामा और अजय मिश्र टेनी ने अपनी जीत पक्की कर ली थी। 2014 में हुए उपचुनाव में सपा से केजी पटेल को सभी वर्गों का मत मिलने के कारणवह चुनाव जीते थें।

इसके अलावा एससी बिरादरी में भार्गव, राजवंशी आदि बिरादरी के लोग बसपा से नाराज हैं। बसपा के कद्दावर नेता रामस्वरूप मौर्य ने भी भाजपा का दामन थाम लिया हैं। उधर मुस्लिम बिरादरी के लोग कयूम का टिकट कट जाने से काफी नाराज दिख रहे हैं। यदि मौर्या और मुस्लिम बिरादरी के लोगों ने बसपा से मुंह मोड़ लिया तो बसपा का जनाधार कम हो सकता हैं। इसके अलावा बसपा का प्रत्याशी बाहिरी होने का असर भी इस चुनाव को प्रभावित करेगा।

rp masroor lakhimpur जातीय समीकरण में फंसता नजर आ रहा है ‘हाथी’ -मसरूर खान, संवाददाता

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