नई दिल्ली। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले भारत में 1,900 राजनैतिक दल रजिस्टर्ड है। देश में 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद गत दिनों चुनाव आयोग द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसके मुताबिक आयोग के पास 29 राज्यों में राजनैतिक दलों की संख्या लगभग 2 हजार के करीब पहुंचने वाली है। इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात यह है कि 400 राजनैतिक दलों ने अपना पंजीकरण तो करावाया है लेकिन अब तक चुनाव नहीं लड़ा हैं। इस सूची के आने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है इन दलों ने अपने कालेधन को छिपाने और उसे सफेद धन में तब्दील करने के लिए पार्टी का गठन किया था।
रिपोर्ट के बारे में केंद्रीय निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी का कहना है कि भारत में राजनैतिक दलों का गठन कालेधन को छिपाने के लिए किया जा रहा है, जिसके मद्देनजर आयोग द्वारा यह कदम उठाने का फैसला लिया गया है। जल्द ही चुनाव आयोग ऐसी पार्टियों के नाम अपनी सूची से काटने की प्रक्रिया शुरू करेगा। साथ ही सभी पार्टियों के चंदे की सूची भी तैयार की जाएगी।
क्या होगा असर?
यदि चुनाव आयोग द्वारा यह कदम उठाया जाता है तो ये सभी पार्टिय़ां आयकर में छूट पाने के काबिल नहीं रह जाएंगी। बता दें कि भारत में राजनैतिक दलों को आयकर में छूट दी जाती है।
हर साल होगा छटाई का काम
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक नसीद जैदी ने साफ किया है कि यह काम आयोग द्वारा हर साल किया जाएगा ताकि कोई भी राजनैतिक दल कालेधन को सफेद ना कर पाए।