अहोई अष्टमी ।। अहोई अष्टमी का व्रत माताओं द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए रखी जाने वाला व्रत है। अहोई अष्टमी का यह व्रत हर वर्ष कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस वर्ष यह व्रत 28 अक्टूबर 2020 गुरुवार के दिन किया जाएगा। इस दिन पुत्रवती महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए निर्जला उपवास रखेंगे व शाम को तारों को देख कर अहोई माता की पूजा कर व्रत का समापन करेंगी। अहोई अष्टमी का यह व्रत देवी पार्वती को समर्पित है और इस दिन देवी पार्वती की पूजा करने से मां हुई प्रसन्न होती हैं और फल स्वरुप संतान की आयु में वृद्धि व विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि –
- इस दिन व्रत रखने वाली माताएं सूर्योदय से पहले स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लें।
- पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं।
- शाम के समय पूजन के लिए अहोई माता के सामने चैकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रखें। तत्पश्चात रोली-चावल से माता की पूजा करें।
- मीठे पुए या आटे के हलवे का भोग लगाएं। कलश पर स्वास्तिक बना लें और हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
- ये सब करने के बाद तारों को अघ्र्य देकर अपने से बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें। बाद में बच्चें अपनी माता के पैर छुएं और आशीर्वाद लें और साथ ही अपनी माता को भोजन कराएं।
अहोई अष्टमी का महत्व-
अहोई अष्टमी के दिन महिलाएं अपने बच्चों के कल्याण के लिए व्रत रखती हैं। जो महिलाएं निःसंतान हैं वो भी संतान की प्राप्ति के लिए अहोई अष्टमी का व्रत या उपवास करती हैं। यह व्रत करवा चैथ के 4 दिन बाद और दिपावली से एक हफ्ता पहले आता है।