कानपुर: राजधानी दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट का उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता और उसके परिजनों के घर से निकलने को लेकर अहम निर्देश दिया है। अदालत ने निर्देश देते हुए कहा कि, पीड़िता व उनके परिजन जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले।
तीस हजारी कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि, जब तक उनके आने-जाने की स्वतंत्रता से संबंधित अर्जी पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक वह कहीं आने जाने से पहले अपने सुरक्षा में तैनात अधिकारियों को संपर्क करें।
जरूरत पड़ने पर ही जाएं बाहर: कोर्ट
अदालत ने कहा, सुरक्षाकर्मियों को आपकी सुरक्षा के लिए तैनात किया गया है। आपको इस तरह से योजना बनानी चाहिए कि आपको हर दिन बाहर निकलने की जरूरत न पड़े। जरूरत पड़ने पर ही बाहर जाएं। जब तक मामला खत्म नहीं हो जाता, तब तक आपको सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे में घर से बाहर जाने से पहले सुरक्षा अधिकारी को सूचित करना चाहिए।
तीस हजारी कोर्ट ने कहा कि, अभियोजन पक्ष यह सुनिश्चित करे कि जब भी पीड़िता या परिवार के सदस्य किसी लंबित मामले के संबंध में दिल्ली से बाहर जाना चाहते हैं, वह सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट को इसकी सूचना देंगे ताकि उचित सुरक्षा व्यवस्था और एस्कॉर्ट्स बनाए जा सकें। अदालत ने कहा, यदि पीड़िता या परिवार के सदस्य लंबित मामलों के लिए अपने वकील से मिलना चाहते हैं तो वह एक दिन पहले कार्यक्रम के संबंध में सूचित करने की कोशिश करेंगे।
पीड़िता ने दाखिल की थी अर्जी
दरअसल, उन्नाव पीड़िता की सुरक्षा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान लगे हुए हैं। पीड़िता की तरफ से दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में अर्जी दाखिल कर व्यक्तिगत सुरक्षा अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है। याचिका में कहा कि, सुरक्षाकर्मी उसे कहीं भी आने-जाने से रोक रहे हैं। यह उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है।