लखनऊ: सरकार की कुटिल नीतियों और शिक्षक भर्ती में हुई विसंगतियों के मद्देनज़र राजधानी में अभ्यर्थियों का सैलाब सुबह से ही सड़क पर दिखाई दिया। 75 जिलों के अभ्यर्थियों ने SCERT दफ्तर पर विरोध प्रदर्शन कर 69000 शिक्षकों की भर्ती घोटाले पर सरकार के सामने सवाल खड़े किए हैं।
सीटों की गई सेंधमारी
दरअसल, यूपी सरकार ने साल 2018 में 69000 शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया था। इसमें लाखों अभ्यर्थियों ने आवदेन किया था। एक साल बाद शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा हुई, जिसका परिणाम 01 जून, 2020 को घोषित किया था। ओबीसी और एससी कैटेगरी के अभ्यर्थियों का आरोप है कि सरकार ने उनके साथ छलावाकर 69000 शिक्षक भर्ती में घोटाला किया है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के तहत यूपी में 5844 सीटें ओबीसी कैटेगरी और एससी कैटेगरी की थीं। उन सीटों में भी सेंधमारी की गई है। भर्ती प्रक्रिया में करीब 27 फीसदी व 21 फीसदी आरक्षण नहीं दिया गया है।
अभ्यर्थियों ने सरकार को घेरा
मंगलवार को हजारों अभ्यर्थियों ने 69000 शिक्षक भर्ती महाघोटाला के तहत यूपी सरकार को सवालों के कटघरे में खड़ा किया है। अभ्यर्थियों ने जमकर नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन जारी रखा। अभ्यर्थियों ने सरकार से पूछा कि, 69000 शिक्षक भर्ती में ओबीसी कैटगेरी को 27 फीसदी के स्थान पर महज 3.86 फीसदी आरक्षण क्यों दिया गया। इसके अलावा एससी कैटेगरी को 21 फीसदी के स्थान पर मात्र 16.6 फीसदी आरक्षण क्यों मिला।
अभ्यर्थियों ने बताया कि, आरक्षण नियमावली का सही ढंग से पालन न होने की वजह से करीब 15 हजार आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया से बाहर हो चुके हैं। इस दौरान अभ्यर्थियों ने मांग की है कि सरकार भर्ती प्रक्रिया को संशोधित कर 27 फीसदी व 21 फीसदी आरक्षण को पूरा करे।