लखनऊ: राजधानी स्थित लोकभवन में सोमवार को योगी सरकार की कैबिनेट बैठक आयोजित हुई, जिसमें आठ प्रस्तावों को मंजूरी मिली है। इस दौरान स्टाम्प व रजिस्ट्री विभाग द्वारा लाए गए नए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
नए प्रस्ताव के मुताबिक, प्रदेश में अब दुकान, मकान, जमीन और फ्लैट आदि भू-संपत्तियों की कीमत और ऐसी संपत्ति की खरीद-फरोख्त में रजिस्ट्री करवाने के लिए लगने वाले स्टांप शुल्क को डीएम तय करवाएंगे। यह प्रस्ताव कैबिनेट में स्टांप व रजिस्ट्री विभाग की ओर से लाया गया, जिसे मंजूरी मिल गई।
स्टांप शुल्क को लेकर नहीं होंगे विवाद
इस संबंध में प्रदेश के स्टांप व रजिस्ट्री मंत्री रवींद्र जायसवाल ने जानकारी दी। उन्होंने बताया कि, कैबिनेट के इस अहम फैसले के बाद अब प्रदेश में भू-संपत्तियों के रेट तय करने और रजिस्ट्री करवाते समय उस पर लगने वाले स्टांप शुल्क को तय करने में विवाद नहीं होंगे। साथ ही इस मुद्दे पर होने वाले मुकदमों की संख्या भी घटेगी।
मंत्री जायसवाल ने बताया कि, अब प्रदेश में कोई भी व्यक्ति कहीं भी कोई दुकान, मकान, जमीन, फ्लैट आदि खरीदना चाहेगा तो सबसे पहले उसे संबंधित जिले के डीएम को एक प्रार्थना पत्र देना होगा। साथ ही कोषागार में ट्रेजरी चालान के जरिए 100 रुपये का शुल्क जमा करना होगा।
उन्होंने बताया कि, इसके बाद जिलाधिकारी लेखपाल से उस भू-संपत्ति की डीएम सर्किल रेट के हिसाब से मौजूदा रेट का मूल्यांकन करवाएंगे। उसके बाद उस संपत्ति की रजिस्ट्री पर लगने वाले स्टांप शुल्क का भी लिखित रूप से निर्धारित होगा।
पहले क्या थी व्यवस्था?
स्टांप व रजिस्ट्री मंत्री ने बताया कि, अभी तक प्रदेश में जो व्यवस्था चल रही थी उसमें कोई व्यक्ति जमीन या मकान खरीदना चाहता था तो उस भू-संपत्ति का मूल्य कितना है, इस पर संशय बना रहता है। खरीददार, प्रॉपर्टी डीलर, रजिस्ट्री करवाने वाले अधिवक्ता, रजिस्ट्री विभाग के अधिकारी से संपर्क करते थे और उसमें मौखिक तौर पर उस जमीन या मकान की कीमत तय हो जाती थी, उसी आधार पर उसकी रजिस्ट्री पर स्टांप शुल्क लगता था।
उन्होंने बताया कि, इसके बाद में विवाद की स्थिति उत्पन्न होती थी कि उक्त भू-संपत्ति के रेट इतने नहीं बल्कि इतने होनी चाहिए थे। लिहाजा इसकी रजिस्ट्री पर स्टांप शुल्क कम वसूला गया। प्रदेश के स्टांप व रजिस्ट्री विभाग में ऐसे केसों की संख्या बढ़ती जा रही थी, जिस पर अब अंकुश लगेगा।